
धर्मशाला। ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंटरी फोरम फॉर तिब्बत (एपीआईपीएफटी) ने १८वीं लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर और भाजपा के सांसद श्री भर्तृहरि महताब को अपना नया संयोजक और भाजपा के सांसद श्री तापिर गाओ को सह-संयोजक नियुक्त किया। ०७ अगस्त, २०२४ को हुए इस चुनाव के साथ ही फोरम का पुनर्गठन सफलतापूर्वक हो गया।
निर्वासित तिब्बती संसद और भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) द्वारा आयोजित रात्रिभोज के दौरान यह घोषणा की गई। इस कार्यक्रम में निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष खेन्पो सोनम तेनफेल, सांसद गेशे ल्हारम्पा अटुक शेतन, लोपोन थुप्टेन ग्यालत्सेन, शानेत्सांग धोंडुप ताशी, गेशे न्गाबा गंगरी, गेशे अतोंग रिनचेन ग्यालत्सेन और शेरिंग यांगचेन शामिल हुए। तिब्बत ब्यूरो (नई दिल्ली) में परम पावन दलाई लामा के प्रतिनिधि जिग्मे जुंगने, आईटीसीओ के कार्यवाहक समन्वयक ताशी डेकयी और अन्य स्टाफ सदस्य भी मौजूद थे।

स्पीकर तेनफेल ने नवनियुक्त संयोजक श्री भर्तृहरि महताब और सह-संयोजक श्री तापिर गाओ का अभिनंदन किया। इसके साथ ही एपीआईपीएफटी के पूर्व संयोजक राज्यसभा सांसद श्री सुजीत कुमार को उनके बहुमूल्य योगदान के लिए आभार प्रकट करते हुए उन्हें औपचारिक स्कार्फ (खटक) ओढ़ाया गया और बुद्ध की एक प्रतिमा भेंट की गई।
रात्रिभोज में एपीआईपीएफटी के पूर्व संयोजक श्री सुजीत कुमार, लोकसभा सदस्य श्री तापिर गाओ, भाजपा के पश्चिम बंगाल से लोकसभा सांसद श्री मनोज तिग्गा, भाजपा के असम से लोकसभा सदस्य श्री अमरसिंग टिस्सो, यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल के असम से लोकसभा सांसद श्री जोयंता बसुमतारी, भाजपा की नगालैंड से राज्यसभा सांसद श्रीमती एस. फांगनोन कोन्याक, असम गण परिषद के असम से राज्यसभा सांसद श्री बीरेंद्र प्रसाद बैश्य, भाजपा के पश्चिम बंगाल से लोकसभा सांसद श्री जगन्नाथ सरकार, कांग्रेस के मणिपुर से लोकसभा सांसद एसोसिएट प्रोफेसर अंगोमचा बिमोल अकोइजाम, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के लोकसभा सांसद श्री इंद्र हैंग सुब्बा, कांग्रेस के असम से लोकसभा सांसद श्री प्रद्युत बोरदोलोई, लोकसभा सांसद श्री फणि भूषण चौधरी, लद्दाख से निर्दलीय लोकसभा सांसद श्री मोहम्मद हनीफ, लोकसभा की पूर्व सदस्य श्रीमती मेनका गांधी और राजीव गांधी फाउंडेशन में वरिष्ठ फेलो (विधान सहायता समूह) और दिल्ली विधानसभा के पूर्व विधायक डॉ. पंकज पुष्कर शामिल हुए।

निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष खेंपो सोनम तेनफेल की आधिकारिक घोषणा के बाद एपीआईपीएफटी के संयोजक और सह-संयोजक ने अपने संबोधन में भारत और भारत के लोगों को उनके अटूट समर्थन और उदार आतिथ्य के लिए आभार व्यक्त किया गया। उन्होंने एपीआईपीएफटी के गठन और अंतरराष्ट्रीय मंच पर तिब्बती मुद्दे की स्थिति के बारे में बात की।
श्री सुजीत कुमार ने अपने संबोधन में पिछले तीन वर्षों से एपीआईपीएफटी के संयोजक के रूप में कार्य करने को लेकर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि कैसे ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री श्री बीजू पटनायक ने राज्य में तिब्बती निर्वासितों के पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे पटनायक के तिब्बती समुदाय के साथ विशेष संबंधों को रेखांकित किया गया। इसके अतिरिक्त श्री कुमार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत के पूर्व रक्षा मंत्री श्री जॉर्ज फर्नांडीस ने पाकिस्तान के बजाय चीन को प्राथमिक खतरा बताया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रश्नगत सीमा हमेशा भारत-तिब्बत सीमा रही है, न कि चीन-भारत सीमा।

ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंटरी फोरम फॉर तिब्बत (एपीआईपीएफटी) के सह-संयोजक श्री तापिर गाओ ने बताया कि तिब्बती मुद्दों पर मुखर रहने वाले संयोजक कुछ अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण बैठक में उपस्थित नहीं हो सके। उन्होंने आगे बताया कि कैसे भारतीय हिमालयी राज्य और तिब्बत ऐतिहासिक रूप से सांस्कृतिक, आर्थिक और भौगोलिक रूप से जुड़े हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि तिब्बत एक स्वतंत्र राष्ट्र और भारत का पड़ोसी देश है, जो अब चीन के कब्जे में है।
उन्होंने आगे अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार तिब्बतियों के आत्मनिर्णय के अधिकार के बारे में बात की और सभी तिब्बती राजनीतिक कैदियों की तत्काल रिहाई का आह्वान करते हुए तिब्बती पठार के महत्व पर एक स्वतंत्र शोध की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने मध्यम मार्ग नीति के माध्यम से चीन और परम पावन दलाई लामा के दूतों के बीच बातचीत को फिर से शुरू करने की बात दोहराई। उन्होंने तिब्बत पर चीन के झूठे आख्यान का मुकाबला करने में सभी के सहयोग का अनुरोध किया।
