जिनेवा। संयुक्त राष्ट्र के १३ विशेष प्रक्रिया जनादेश धारकों (स्पेशल प्रोसेडुर मैंडेट होल्डर्स) ने चीन सरकार को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में तिब्बत के डेरगे काउंटी में कामटोक पनबिजली संयंत्र का विरोध कर रहे तिब्बतियों के खिलाफ मानवाधिकारों के व्यापक उल्लंघन और अत्यधिक दमन के खिलाफ चिंता जताई गई है। संयुक्त राष्ट्र के १३ स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा हस्ताक्षरित यह संयुक्त पत्र ०८ जुलाई २०२४ को जारी किया गया और आज ०६ सितंबर २०२४ को इसे सार्वजनिक किया गया। इसी तरह का एक संयुक्त पत्र हुआडियन जिंशा रिवर अपस्ट्रीम हाइड्रोपावर डेवलपमेंट सी., लिमिटेड को लेकर भी जारी किया गया है। यह चीन सरकार के स्वामित्व वाली उद्यम ‘चाइना हुआडियन कॉरपोरेशन लिमिटेड’ की एक सहायक कंपनी है, जो बांध के निर्माण में शामिल है।
इस पत्र में विशेषज्ञों ने आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले तिब्बती समुदायों, नेताओं और धार्मिक हस्तियों के खिलाफ ‘हिंसा और मानवाधिकारों के हनन’ पर गहरी चिंता जताई गई है। उन्होंने उल्लेख किया है कि सक्षम अधिकारी सार्थक परामर्श करने के साथ ही सीधे और अपरिवर्तनीय रूप से बांध निर्माण से प्रभावित हुए लोगों की स्वतंत्र और पूर्व सूचित सहमति प्राप्त करने में विफल रहे हैं। यह कार्रवाई असल में ‘मनमाने विस्थापन’ के समान है। विशेषज्ञों ने ‘बुनियादी मानवाधिकारों का उपयोग करने के कारण सैकड़ों तिब्बतियों से प्रतिशोध लेने, उनके खिलाफ बल प्रयोग करने, उनकी मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों और हिरासत में लेने’ के बारे में भी चिंता जताई है।
पर्यावरणीय नुकसान के बारे में अत्यधिक चिंता जताते हुए विशेषज्ञों ने ‘भयानक और अपरिवर्तनीय पर्यावरणीय और जलवायु प्रभावों को रेखांकित किया है जो बांध से तिब्बती पठार, चीन और पूरे क्षेत्र में पैदा हो सकता है।’ विशेषज्ञों ने ‘किसी भी परियोजना के निर्माण और विकास से पहले स्वतंत्र, पर्याप्त और व्यापक पर्यावरणीय और मानवाधिकार प्रभावों का आकलन करने का आह्वान किया है, जिसमें ऊर्जा जरूरतों के लिए अन्य संभावित विकल्पों का आकलन करना भी शामिल है।’
विशेषज्ञों ने कहा है कि चीनी सरकार के कृत्य तिब्बतियों के बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं। इनमें हर किसी को अपनी संस्कृति का आनंद लेने और सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने का अधिकार देनेवाले सांस्कृतिक अधिकार, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार, शांतिपूर्ण सभा और संगठन बनाने की स्वतंत्रता का अधिकार, सूचना का अधिकार और सार्वजनिक मामलों में सार्थक रूप से भाग लेने का अधिकार आदि शामिल हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि ‘ये घटनाएं तिब्बत में रहने वाले लोगों के लिए खतरनाक वास्तविकता को रेखांकित करती हैं, जिन्होंने अपने मौलिक अधिकारों का उपयोग करने के लिए इसी तरह के आरोपों और परिणामों का सामना किया है।’
चीनी सरकार से सभी प्रकार के अधिकारों के उल्लंघनों को रोकने के लिए आवश्यक अंतरिम उपाय करने का आह्वान करते हुए विशेषज्ञों ने सरकार से बांध निर्माण और तिब्बतियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़े मामलों पर जानकारी और विस्तृत रिपोर्ट जारी करने की अपील की है। उन्होंने विशेष रूप से कामटोक (गंगटुओ) बांध पर काम शुरू होने से पहले किए गए सभी ‘पर्यावरण (जैव विविधता और जलवायु सहित), सामाजिक-सांस्कृतिक और अन्य मानवाधिकार प्रभाव के आकलन’ के बारे में रिपोर्ट मांगी है। साथ ही तिब्बती समुदायों को सूचित करने और उनकी स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति लेने के लिए किए गए उपायों का ब्योरा मांगा है। इसके अतिरिक्त विशेषज्ञों ने चीन सरकार से पूछा है कि तिब्बती लोगों के जबरन पुनर्वास किन कानूनों के तहत किया जा रहा है और सरकार किस तरह से तिब्बतियों के अधिकारों की रक्षा करना चाहती है?
विशेष प्रतिवेदकों के संयुक्त पत्र का स्वागत करते हुए परम पावन दलाई लामा के लिए और मध्य-पूर्व यूरोप के लिए केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने उपरोक्त चिंताओं के बारे में उनकी विस्तृत जानकारी के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। इसके साथ उन्होंने कहा कि ‘चीनी सरकार को विशेष प्रतिवेदकों द्वारा मांगी गई सभी विस्तृत रिपोर्ट सक्रियता से प्रस्तुत करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन उल्लंघनों के लिए जिम्मेदार संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाए।’
संयुक्त संचार-पत्र जारी करनेवाली हस्तियां हैं- सांस्कृतिक अधिकारों के क्षेत्र में विशेष रिपोर्टेयर एलेक्जेंड्रा ज़ैंथाकी, मनमाने ढंग से हिरासत पर कार्य समूह के संचार मामलों की उपाध्यक्ष गन्ना युडकिव्स्का, मानव अधिकारों और बहुराष्ट्रीय निगमों और अन्य व्यावसायिक उद्यमों के मुद्दे पर कार्य समूह के अध्यक्ष-रिपोर्टेयर रॉबर्ट मैक्कोरक्वेडेल, जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में मानव अधिकारों के प्रचार और संरक्षण मामले की विशेष रिपोर्टेयर एलिसा मोर्गेरा, विकास के अधिकार मामले के विशेष रिपोर्टेयर सूर्या देवा, स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण के अधिकार मामलों के विशेष रिपोर्टेयर एस्ट्रिड पुएंतेस रियानो, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रचार और संरक्षण मामले के विशेष रिपोर्टेयर आइरीन खान, शांतिपूर्ण सभा और संगठन की स्वतंत्रता के अधिकार मामले की विशेष रिपोर्टेयर जीना रोमेरो, पर्याप्त जीवन स्तर के अधिकार के एक घटक के रूप में पर्याप्त आवास के संदर्भ में गैर-भेदभाव के अधिकार मामले के विशेष रिपोर्टेयर बालकृष्णन राजगोपाल, स्वदेशी लोगों के अधिकार मामले के विशेष रिपोर्टेयर जोस फ्रांसिस्को कैली त्ज़े, आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों के मानवाधिकारों पर विशेष रिपोर्टेयर पाउला गाविरिया, अल्पसंख्यक मुद्दों के विशेष रिपोर्टेयर निकोलस लेवराट, धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता के विशेष रिपोर्टेयर नाज़िला घनेया।