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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के पैनल में चीन की नियुक्ति पर सीटीए का प्रेस वक्तव्य

April 6, 2020

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद

tibet.net

संयुक्त राष्ट्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व और आक्रामकता के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रभावशाली सलाहकार समूह में चीन की नियुक्ति के बारे में जानकर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) आश्चर्यचकित है। इस समूह में केवल पांच देश ही शामिल होते हैं। चीन 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक यूएनएचआरसी पैनल में एशिया-प्रशांत समूह का प्रतिनिधित्व करेगा।

इस पैनल में नियुक्ति हो जाने से दुनिया में मानवाधिकारों के साथ सबसे निकृष्ट व्यवहार करनेवाले देशों में से एक चीन अगले एक साल तक संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार धारकों के चयन और इस संस्था की विशेष प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए अधिकृत हो जाएगा। इसमें विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर विशेष रिपोर्टियरों का चयनय स्वास्थ्य के मुद्दे, मनमाने ढंग से, जबरन या अनैच्छिक रूप से किसी को हिरासत में लेने के खिलाफ कार्यसमूह का चयन भी शामिल होगा। यहां यह बताना जरूरी होगा कि किसी को जबरन हिरासत में लेने या गायब कर देना चीनी सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर उपयोग में लाया जाने वाला उपकरण है।  चीनी सरकार द्वारा 11वें पंचेन लामा गेधुन चोएक्यी न्यिमा को जबरन गायब कर देने का मामला इस संदर्भ में प्रमुख मामला है। इस साल 17 मई को चीनी सरकार द्वारा उन्हें उनके पूरे परिवार के साथ गायब कर देने के ठीक 25 साल पूरे हो जाएंगे।

संयुक्त राष्ट्र जनादेश धारकों के लिए जो उम्मीदवार होते हैं, वे दुनिया के मानवाधिकार विशेषज्ञ मामलों के विशेषज्ञ होते हैं। वे दुनिया के विशिष्ट मानवाधिकार मुद्दों पर जांच, निगरानी और रिपोर्ट करने में चीन से प्रभावित होंगे। मानवाधिकारों के उल्लंघन के चीन के लंबे रिकॉर्ड के बावजूद यूएनएचआरसी पैनल में उसका चयन सभी मानवाधिकार रक्षकों और पैरोकारों के लिए चिंता का विषय है।

सीटीए के सूचना विभाग के सचिव टी.जी. आर्य ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि चीन को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद पैनल में नियुक्त किया गया है। “चीन मानव अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के घोर उल्लंघन के लिए जाने जाने वाले देशों की शीर्ष सूची में है। यूएनएचआरसी अपने पैनल में सबसे खराब मानवाधिकार का रिकॉर्ड रखनेवाले देश चीन को नियुक्त करके अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक गलत संदेश भेज रहा है। यह विश्व व्यवस्था को बहुत परेशान करेगा और मानव अधिकारों की रवायतों को मनमाफिक व्याख्या करेगा। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के दमनकारी शासन के शिकार तिब्बती, चीनी, उइगर, मंगोलियाई और हांगकांग के लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि उन्हें अब निष्पक्ष सुना जाएगा और न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह तो बिल्ली को ही मछली की रखवाली देने देने जैसा है।

चीन अपने मानवाधिकारों क्रियाकलापों को लेकर हमेशा अंतरराष्ट्रीय निंदा का पात्र बनता रहा है। पिछले पांच वर्षों से चीनी कब्जे के तहत तिब्बत को दुनिया में दूसरे सबसे कम आजाद क्षेत्र के रूप में चिह्नित   किया जाता रहा है। चीन इंटरनेट की आजादी का सबसे बुरा उपयोग करने वाले देश के रूप में दुनिया भर में शुमार है। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र को अपने मानवाधिकार परिषद पैनल में चीन की नियुक्ति पर गंभीरता से पुनर्विचार करना चाहिए।

एशिया-प्रशांत राज्यों के समन्वयक ओमान में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी मिशन ने जिनेवा में चीन मिशन में मंत्री श्री जियांग डुआन के नामांकन का समर्थन किया। अन्य चार सदस्य देश हैं-  चाड (अफ्रीकी देशों से), स्लोवानिया (पूर्वी यूरोपीय देशों से), स्पेन (पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देशों से) हैं, और लैटिन अमेरिकी और कैरिबियन राज्यों से एक लंबित नामांकन है।


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