बर्लिन। निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रमुख सिक्योंग पेन्पा शेरिंग ने बर्लिन में अनेक कार्यक्रमों में शिरकत की और उनमें दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया: पहला, तिब्बत में चीन के सरकारी औपनिवेशिक प्रणाली के आवासीय स्कूलों का मुद्दा और दूसरा तिब्बती धार्मिक स्वतंत्रता के साथ-साथ परम पावन दलाई लामा के उत्तराधिकार सहित अनूठे बौद्ध परंपराओं की सुरक्षा। इन दो मुद्दों पर अमेरिकी नीतियों का हवाला देते हुए सिक्योंग ने बर्लिन में नेताओं से इसी तरह के नीतियां और कानून बनाने पर विचार करने और बहुपक्षीय मंचों से चीनी सरकार को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया।
सिक्योंग की यात्रा कार्यक्रमों में एक प्रमुख आकर्षण ०७ मई को जर्मनी के संघीय आर्थिक सहयोग और विकास मंत्रालय (बीएमजेड) के तहत धार्मिक और आस्था की स्वतंत्रता के लिए संघीय सरकार के आयुक्त की इकाई के निदेशक एन्के ओपरमैन के साथ उनकी बैठक थी।
आयोग में एक घंटे की बैठक के दौरान ओपरमैन ने सिक्योंग को धर्म और आस्था की स्वतंत्रता की वैश्विक स्थिति पर जर्मनी की संघीय सरकार की तीसरी रिपोर्ट और धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोग द्वारा की जाने वाली आगामी पहलों के बारे में जानकारी दी।
बदले में, सिक्योंग ने ११वें पंचेन लामा को जबरन अपहरण कर लिए जाने के खिलाफ बयान देने के लिए आयोग, विशेष रूप से आयुक्त फ्रैंक श्वाबे को धन्यवाद दिया। सिक्योंग ने श्वाबे से इस मुद्दे पर निरंतर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करते रहने का आग्रह किया और बीएमजेड से आह्वान किया कि वह समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर परम पावन दलाई लामा के पुनर्जन्म को विशुद्ध रूप से धार्मिक मामले के तौर पर स्वीकार करे। साथ ही इस मामले को सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए।
एक अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम में सिक्योंग पेन्पा शेरिंग ने जर्मन बुंडेस्टैग (संसद) के सदस्य माननीय रोडेरिच कीसेवेटर से मुलाकात की। कीसेवेटर सीडीयू/सीएसयू कॉकस के लिए विदेशी मामलों के प्रतिनिधि और संसदीय निरीक्षण पैनल के उपाध्यक्ष भी हैं। सिक्योंग ने चीन के अधिनायकवादी शासन का सामना करने में तिब्बतियों से सीखे जा सकने वाले व्यावहारिक सबकों पर चर्चा की। दोनों ने मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता दोहराई। माननीय सांसद ने परम पावन दलाई लामा के शांति और अहिंसा के संदेश की स्थायी प्रासंगिकता के साथ-साथ तिब्बती लोगों के रणनीतिक अहिंसक संघर्ष की सराहना की।
०५, ०६ और ०८ मई को सिक्योंग ने उच्चस्तरीय सरकारी अधिकारियों और अपने मामलों से संबद्ध हस्तियों के साथ बंद कमरे में बातचीत और गोलमेज बैठकें कीं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने टेबल मीडिया, आरबीबी रेडियो, डाइज़िट और फ्रैंकफर्टर अल्गमेइने ज़ितुंग सहित प्रमुख जर्मन मीडिया आउटलेट्स से बातचीत की और चीन को लेकर एक मजबूत यूरोपीय नीति की वकालत की।
०६ और ०८ मई को सिक्योंग ने क्रमशः बर्लिन में प्रमुख तिब्बत समर्थक संगठनों अर्थात् तिब्बत इनिशिएटिव ड्यूशलैंड और आईसीटी जर्मनी के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की और तिब्बत में बिगड़ती स्थिति को लेकर अभियान चलाने लायक आगामी परियोजनाओं पर रणनीति बनाने पर विचार- विमर्श किया।
जर्मनी में सिक्योंग पेन्पा शेरिंग का संदेश व्यापक तौर पर यूरोप और विशेष रूप से जर्मनी के लिए था कि वह चीन से निपटने में अपनी ताकत का भरपूर उपयोग करें और अधिनायकवादी शासन का मुकाबला करने में तिब्बतियों से प्रेरणा लें। उन्होंने जर्मनी से एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में जर्मनी में पोषित मूल्यों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने का आह्वान किया।