
लक्जमबर्ग। सिक्योंग पेन्पा शेरिंग १० अक्तूबर की सुबह लक्जमबर्ग हवाई अड्डा पर उतरे, जहां लक्जमबर्ग के तिब्बती समुदाय ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
सिक्योंग के साथ प्रतिनिधि रिग्जिन चोएडन जेनखांग भी थे। इन दोनों के सम्मान में यूरोपीय संसद की पूर्व सदस्य और यूरोपीय लेखा परीक्षक न्यायालय की वर्तमान सदस्य महामहिम लाइमा एंड्रीकिएन ने प्रतिष्ठित सर्कल मुंस्टर ए.एस.बी.एल. में दोपहर के भोजन का आयोजन किया।
तिब्बत की लंबे समय से मित्र और समर्थक महामहिम लाइमा ने तिब्बत और तिब्बती लोगों के सामने उपस्थित मौजूदा स्थिति की गहरी समझ हासिल करने की इच्छा व्यक्त की। लिथुआनियाई मूल की महामहिम लाइमा ने अपने बचपन की यादें साझा कीं। उन्होंने याद करते हुए कहा कि कैसे उनके माता-पिता उन्हें उनकी दादा-दादी की कहानियां सुनाते थे, जो उनके माता-पिता को आश्वस्त करते थे कि एक दिन वे एक स्वतंत्र लिथुआनिया देखेंगे और वहां रहेंगे। हालांकि उस समय ऐसा विचार अविश्वसनीय लग सकता था, लेकिन यह अब एक वास्तविकता बन गया है। अपने व्यक्तिगत अनुभव के अनुरूप ही उन्होंने तिब्बत के लोगों के साथ एक गहरा संबंध व्यक्त किया और तिब्बती मुद्दे के लिए अपनी गहरी सहानुभूति व्यक्त की।
उन्होंने तिब्बत के मुद्दे को आगे बढ़ाने में समर्पित प्रयासों के लिए सिक्योंग की सराहना की और तिब्बती समुदाय के लिए और अधिक योगदान देने की इच्छा व्यक्त की। सिक्योंग और प्रतिनिधि रिग्जिन चोएडेन ने भी लाइमा को परम पावन दलाई लामा के अगले साल जुलाई में होनेवाले ९०वें जन्मदिन समारोह में शामिल होने के लिए अनौपचारिक निमंत्रण दिया।
गर्मजोशी के माहौल में हुए दोपहर के भोजन के बाद सिक्योंग को तिब्बत के लंबे समय से समर्थक रहे एक अन्य समूह- लेस एमिस डु तिब्बत- से मिलवाया गया। यह एक ऐसा संगठन है जो तिब्बतियों का समर्थन करने के लिए खासकर, तिब्बती चिल्ड्रन विलेज स्कूलों में बच्चों को मदद करने के माध्यम से सक्रिय रूप से काम कर रहा है। ‘लेस एमिस डु तिब्बत’ के अध्यक्ष पियरे बाउमन ने सिक्योंग को एसोसिएशन के सदस्यों से मिलवाया, जिन्होंने फिर से तिब्बत पर एक अनौपचारिक चर्चा की। इसके बाद एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक सम्मेलन हुआ।
तिब्बत की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘लेस एमिस डु तिब्बत’ की प्रतिबद्धता उनके द्वारा दोभाषिया को नियुक्त करने के उनके विचारशील निर्णय से स्पष्ट थी। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि श्रोताओं को सिक्योंग की बात की स्पष्ट और अधिक व्यापक समझ की जरूरत थी। अपने संबोधन के दौरान सिक्योंग ने तिब्बत के वैश्विक महत्व पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से एशिया के ‘वॉटर टॉवर’ के रूप में तिब्बत की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने दर्शकों से ‘ड्रैगन को न खिलाने’ का भी आग्रह किया, जो एक प्रतीकात्मक कार्रवाई का आह्वान था। इसमें चीन को उस बिंदु तक सशक्त बनाने के खिलाफ चेतावनी दी गई थी जहां यह खतरनाक रूप से हावी हो जाए।
दर्शकों ने तिब्बत से जुड़े मुद्दों में गहरी दिलचस्पी दिखाई और सिक्योंग से व्यावहारिक सवाल पूछे। सिक्योंग की लक्ज़मबर्ग यात्रा का पहला दिन ‘लेस एमिस डू तिब्बत’ की टीम के साथ एक अनौपचारिक रात्रिभोज के साथ संपन्न हुआ, जहाँ तिब्बत को लेकर गर्मजोशी भरे अनौपचारिक माहौल में बातचीत जारी रही।