
टोक्यो। टोक्यो के आधिकारिक दौरे पर चल रहे निर्वासित तिब्बती संसद के स्पीकर खेंपो सोनम तेनफेल ने जापानी संसद भवन का दौरा किया और टोक्यो के नागाटाचो में संसद भवन के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हॉल में ‘जैपनिज पार्लियामेंटेरियन सपोर्ट ग्रुप फॉर तिब्बत’ की कार्य समिति के सदस्यों को संबोधित किया।
‘जैपनिज पार्लियामेंटेरियन सपोर्ट ग्रुप फॉर तिब्बत’ के अध्यक्ष माननीय शिमोमुरा हकुबुन ने स्पीकर खेंपो सोनम तेनफेल का स्वागत किया और उन्हें तिब्बत मुद्दे पर जापानी सांसदों के जोरदार समर्थन से अवगत कराया। अध्यक्ष शिमोमुरा ने औपनिवेशिक प्रणाली के आवासीय स्कूलों और चीन में बढ़ते दमन के बारे में भी बात की। उन्होंने समिति को २०२५ में टोक्यो में तिब्बत पर नौवें विश्व संसदीय सम्मेलन (डब्ल्यूपीसीटी) के आयोजन की योजना और इसे कैसे अंजाम दिया जाए, इसकी जानकारी दी।
आदरणीय खेंपो सोनम तेनफेल ने अध्यक्ष शिमोमुरा हकुबुन, सचिव इशिकावा और अन्य लोगों को अपना स्वागत करने और तिब्बत मुद्दे और तिब्बत हाउस जापान कार्यालय को दिए जा रहे हर प्रकार के समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने तिब्बत में जारी दमन पर संसद समिति को नवीनतम जानकारी से अवगत कराया और गोलोक में जिग्मे ग्यालत्सेन स्कूल के हाल ही में बंद होने पर बात की। उन्होंने सदस्यों को यह भी बताया कि कैसे परम पावन दलाई लामा ने कड़ी मेहनत करके निर्वासन में लोकतांत्रिक शासन की शुरुआत की।
स्पीकर खेंपो ने इस अवसर पर तिब्बत, उग्यूर, दक्षिणी मंगोलिया और हांगकांग में चीनी सरकार द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा करने वाले २०२२ के प्रस्तावों के लिए जापानी संसद को धन्यवाद दिया। उन्होंने चीन सरकार द्वारा तिब्बत और अन्य कब्जे वाले क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर जिनेवा यूनिवर्सल पीरियोडिकल रिपोर्ट (यूपीआर) सत्र में इस साल बयान के लिए जापानी सरकार को धन्यवाद दिया। स्पीकर खेंपो सोनम तेनफेल ने जापान की इस बात के लिए प्रशंसा की कि यहां की संसद के दोनों सदनों में तिब्बत मुद्दे का समर्थन करने वाले सांसदों की संख्या सबसे अधिक है। उन्होंने अगले साल टोक्यो में नौवें डब्ल्यूपीसीटी के आयोजन में उनकी मदद और सहयोग की सराहनीय अपेक्षा भी की।
जापान और पूर्वी एशिया के लिए परम पावन दलाई लामा के संपर्क कार्यालय के प्रतिनिधि डॉ. शावांग ग्यालपो आर्य ने हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पारित कानून ‘रिज़ोल्व तिब्बत ऐक्ट’ के बारे में समिति के सदस्यों को जानकारी दी। इस विधेयक पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने हस्ताक्षर कर दिए हैं और यह १२ जुलाई से कानून बन गया है। उन्होंने तिब्बत पर अमेरिकी नीति को दर्शाते हुए अधिनियम के कुछ आवश्यक बिंदुओं की ओर इशारा किया और सांसदों से इस तथ्य को पहचानने और जोर देने का अनुरोध किया कि तिब्बत प्राचीन काल से कभी भी चीन का हिस्सा नहीं रहा है। उन्होंने ०७ जुलाई को टोक्यो विश्वविद्यालय में ‘चीनी औपनिवेशिक बोर्डिंग स्कूल’ मुद्दे को लेकर आयोजित एक सेमिनार के दौरान पारित किए गए प्रस्ताव को भी पढ़ा, जिसमें तिब्बतियों, उग्यूरों और दक्षिणी मंगोलों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया गया है कि वे अपने-अपने समर्थन वाले संसदीय समर्थक समूहों से संबंधित संसद में इस चीनी औपनिवेशिक बोर्डिंग स्कूल के मुद्दे को उठाने का अनुरोध करें।
इशिकावा अकिमासा ने तिब्बत को लेकर विश्व संसदीय सम्मेलन पर चर्चा शुरू की और माननीय खेंपो सोनम तेनफेल और प्रतिनिधि आर्य ने सम्मेलन के उद्देश्य और टोक्यो में इसकी योजना बनाने के कारणों को लेकर व्याख्या की। उन्होंने इसके पक्ष के तर्कों और इसे आगे बढ़ाने के मुद्दे को लेकर भी चर्चा की।
जापान एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक राष्ट्र है। यह दुनिया के सबसे सफल लोकतंत्रों में से एक है, जहां कानून और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन किया जाता है। इसके अलावा, तिब्बत मुद्दे का समर्थन करने वाले सांसदों की सबसे बड़ी संख्या भी जापान में ही है। कई जापानी मठ, शिंटो संस्थान और आम जनता परम पावन दलाई लामा के भक्त हैं और तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन का पुरजोर समर्थन करते हैं।
माननीय खेंपो सोनम तेनफेल ने तिब्बत हाउस ऑफिस का दौरा किया और बाद में जापान में तिब्बती समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की और उन्हें केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) की गतिविधि के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने टोक्यो में अगले साल के सम्मेलन के लिए उनके सहयोग और मदद का अनुरोध किया।



