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चीन का नया “नस्लीय एकीकरण कानून” तिब्बती संस्कृति के चीनीकरण का प्रयास है

May 1, 2020

तिब्बत की राजधानी ल्हासा में एक तिब्बती मजदूर और चीनी पुलिस।

rfa.org

तिब्बत राज्य और यहां की सामाजिक संस्थाओं में ष्जातीय एकीकरणष् की नया चीनी कानून 01 मई शुक्रवार से प्रभाव में आ गया है। इस कानून से तिब्बतियों और बाहर के पर्यवेक्षकों में चिंता व्याप्त हो गई है, जिनका स्पष्ट रूप से मानना रहा है कि इस क्षेत्र में दशकों से हान-चीनी मूल की आबादी का बड़ी संख्या में अतिक्रमण के कारण पहले से ही कमजोर होती जा ही तिब्बती पहचान इस नए कानून से और कमजोर हो जाएगी।

यह नया “तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में नस्लीय एकीकरण और प्रगति के लिए एक मॉडल क्षेत्र की स्थापना का कानून” नामक कानून के तहत सरकार, स्कूलों, निजी व्यापार कंपनियों, धार्मिक केंद्रों और सेना समेत सभी स्तरों पर गैर-तिब्बती नस्लीय समूहों की समान भागीदारी सुनिश्चित की गई है।

वाशिंगटन स्थित इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत (आईसीटी) ने 30 अप्रैल को जारी अपने बयान में कहा कि कानून का यह नया नियम ष्तिब्बतियों के साथ श्तरजीही बर्तावश् के सिद्धांत का स्पष्ट रूप से समापन है, जो यह गारंटी देता था कि तिब्बती अपनी अपनी मातृभूमि में अपनी संस्कृति और पारंपरिक रीति-रिवाजों को बनाए रख सकते हैं।”

आईसीटी ने कहा “तिब्बती लोगों का चीनीकरण करने के उद्देश्य से एक प्रभुत्ववादी नस्लीय संस्कृति का दावा करते हुए ये नियम- नस्लीय भेदभाव के सभी रूपों के उन्मूलन कन्वेंशन, बाल अधिकारों कन्वेंशन और आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार कन्वेंशन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सिद्धांत के मानकों का उल्लंघन करते हैं।”

आईसीटी के उपाध्यक्ष भुचुंग के. त्सेरिंग ने आरएफए की तिब्बती सेवा से कहा कि चीन के नए कानून में कहा गया है कि तिब्बत की सांस्कृतिक विरासत के कुछ हिस्सों को संरक्षित रखा जाना चाहिए, कानून के दीर्घकालिक और वास्तविक प्रभाव का बारीकी से निरीक्षण किया जाना चाहिए।

त्सेरिंग कहते हैं, “अगर बीजिंग वास्तव में तिब्बती सांस्कृतिक पहचान की रक्षा और बढ़ावा देना चाहता है, तो तिब्बती सांस्कृतिक मूल्य, जैसा कि वे पहले थे, उसी रूप में उनका संरक्षण किया जाना चाहिए।”

कानून से भेदभाव को छुपाया जा रहा

ह्यूमन राइट्स वॉच में चीन की निदेशक सोफी रिचर्डसन कहती हैं कि चीन के नए नस्लीय एकीकरण के कानून द्वारा भेदभाव को श्व्हाइटवॉशश् यानी चिकनाई कर छुपा दिया दिया गया है। जिससे हालांकि, ष्चीन के अपने ही संविधान में और उसके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करने के वादों से मोटे तौर पर और गंभीरता से अंतरविरोध पैदा हो गया है।ष्

रिचर्डसन ने आरएफए से कहा, ष्आप नस्लीय एकीकरण को अनिवार्य नहीं कर सकते।ष् यह एक प्रकार का भेदभाव है जिसे कानून द्वारा ओझल किया जा रहा है, लेकिन इससे यह वैध नहीं बन जाता है। रिचर्डसन ने कहा कि तिब्बतियों को अपने मन मुताबिक अपनी संस्कृति का पालन करने का अधिकार होना चाहिए।

अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य जेम्स मैकगवर्न ने अपने 01 मई के बयान में लिखा ष्चीनी सरकार के तिब्बती संस्कृति और धर्म को नियंत्रित करने के अभियान ने लंबे समय से अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों का उल्लंघन किया है।ष्

ष्और ये नए नियम चीन के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का स्पष्ट रूप उल्लंघन करते हुए आगे भी भेदभाव और दमन के लिए ही बनाए गए लगते हैं।ष्

मैकगवर्न ने कहा, ष्अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि ये श्नस्लीय एकीकरणश् के नियम लागू हो गए हैं और हम सबको तिब्बती पहचान को नष्ट करने और तिब्बती लोगों के दमन के प्रयासों के खिलाफ मिलकर काम करना चाहिए।ष्


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