भाषा
བོད་ཡིག中文English
  • मुख पृष्ठ
  • समाचार
    • वर्तमान तिब्बत
    • तिब्बत समर्थक
    • लेख व विचार
    • कला-संस्कृति
    • विविधा
  • हमारे बारे में
  • तिब्बत एक तथ्य
    • तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
    • तिब्बतःएक अवलोकन
    • तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज
    • तिब्बती राष्ट्र गान (हिन्दी)
    • तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र
    • तिब्बत पर चीनी कब्जा : अवलोकन
    • निर्वासन में तिब्बती समुदाय
  • केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
    • संविधान
    • नेतृत्व
    • न्यायपालिका
    • विधायिका
    • कार्यपालिका
    • चुनाव आयोग
    • लोक सेवा आयोग
    • महालेखा परीक्षक
    • १७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां
    • CTA वर्चुअल टूर
  • विभाग
    • धर्म एवं सांस्कृति विभाग
    • गृह विभाग
    • वित्त विभाग
    • शिक्षा विभाग
    • सुरक्षा विभाग
    • सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
    • स्वास्थ विभाग
  • महत्वपूर्ण मुद्दे
    • तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
    • चीन-तिब्बत संवाद
    • मध्य मार्ग दृष्टिकोण
  • वक्तव्य
    • परम पावन दलाई लामा द्वारा
    • कशाग द्वारा
    • निर्वासित संसद द्वारा
    • अन्य
  • मीडिया
    • तस्वीरें
    • विडियो
    • प्रकाशन
    • पत्रिका
    • न्यूज़लेटर
  • तिब्बत समर्थक समूह
    • कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – इंडिया
    • भारत तिब्बत मैत्री संघ
    • भारत तिब्बत सहयोग मंच
    • हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिबेट
    • युथ लिब्रेशन फ्रंट फ़ॉर तिबेट
    • हिमालय परिवार
    • नेशनल कैंपेन फॉर फ्री तिबेट सपोर्ट
    • समता सैनिक दल
    • इंडिया तिबेट फ्रेंडशिप एसोसिएशन
    • फ्रेंड्स ऑफ़ तिबेट
    • अंतरष्ट्रिया भारत तिब्बत सहयोग समिति
    • अन्य
  • संपर्क
  • सहयोग
    • अपील
    • ब्लू बुक

तिब्बत में विनाशकारी भूकंप से पीड़ित हुए लोगों के लिए प्रार्थनाएं

January 9, 2025

कर्नाटक के बायलाकुप्पे स्थित ताशी ल्हुंपो मठ में तिब्बत में हाल ही में आए भूकंप के पीड़ितों के लिए प्रार्थना समारोह

ताशी ल्हुनपो, बायलाकुप्पे, कर्नाटक, भारत। तिब्बत में हाल में आए विनाशकारी भूकंप के पीड़ितों के लिए प्रार्थना करने के लिए आज ०९ जनवरी की सुबह कर्नाटक के बायलाकुप्पे की तिब्बती बस्ती स्थित पुनर्स्थापित ताशी ल्हुनपो मठ के प्रांगण और उसके आस-पास लगभग १२,००० भिक्षु, भिक्षुणियाँ और आम लोग इकट्ठा हुए। भूकंप की सर्वाधिक विनाशलीला तिब्बत के शिगात्से और डिंगरी में देखने को मिली है। शिगात्से में मुख्य मठ ताशी ल्हुनपो है, जिसकी स्थापना प्रथम दलाई लामा ग्यालवा गेंडुन द्रुप ने की थी। यह पहले पंचेन रिनपोछे की पीठ थी।

इस समय परम पावन दलाई लामा दक्षिण भारत में पुनः स्थापित ताशी ल्हुनपो मठ में ही विराजमान हैं। इसलिए स्वाभाविक था कि इसी मठ में शिगात्से और डिंगरी के पीड़ित लोगों के प्रति प्रार्थना करने के लिए आयोजित बड़ी सभा में वह शामिल हों और वह हुए भी। इस सभा में उनका शामिल होना विशेष संयोग रहा।

प्रार्थना के लिए आज सुबह से ही आसपास की तिब्बती बस्तियों से लोग बहुत जल्दी आने लगे। हालांकि उन्हें सुबह ०६:१५ बजे के बाद ही प्रवेश मिलना शुरू हुआ। भिक्षु मंदिर में व्यवस्थित पंक्तियों में बैठ गए। औपचारिक प्रार्थना शुरू होने से पहले मंडली ने बुद्ध शाक्यमुनि के मंत्र का जाप किया।

जब परम पावन पहुंचे तो उन्होंने बुद्ध और प्रथम दलाई लामा की विशाल और सोने की परत चढ़ी तस्वीरों के सामने सजाया गया अपना आसन ग्रहण किया। इन दोनों तस्वीरों के साथ ही पिछले प्रमुख पंचेन रिनपोछे और वर्तमान पंचेन लामा गेंडुन चोएक्यी न्यिमा की तस्वीरें भी रखीं गई थीं। परम पावन के दाहिनी ओर शारपा चोजे रिनपोछे, वर्तमान महंत और पूर्व महंत बैठे थे। उनके साथ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन और निर्वासित तिब्बती संसद के सेवानिवृत्त सदस्य भी थे।

मीडिया के सदस्यों को सभा में परम पावन की उपस्थिति को देखने और रिकॉर्ड करने के लिए मंदिर में जाने की अनुमति दी गई थी।

प्रार्थना की शुरुआत बुद्ध की स्तुति और प्रार्थना के रूप में की जानेवाली ‘तीन सातत्य’ से हुई। इसके बाद शरण लेने और बोधिचित्त के जागृत मन को उत्पन्न करने वाले छंदों का गान  है। समय-समय पर परम पावन मुड़कर भिक्षुओं की सभा का निरीक्षण करते  और उन पर एक नजर डाल लेते थे।

प्रार्थना ‘चार अपरिमेय इच्छाओं की प्रार्थना’ और ‘समंतभद्र रचित प्रार्थनाओं में सर्वप्रथम प्रार्थना के साथ जारी रही। इसके बाद आगत लोगों के बीच तिब्बती मक्खन वाली चाय और रोटी वितरित की गई और उन्हें आशीर्वाद देने के लिए प्रार्थना की गई।

ताशी ल्हुनपो मठ के अनुशास्ता ने परम पावन और अन्य आध्यात्मिक धर्म गुरुओं द्वारा संचालित प्रार्थनाओं के पाठ की घोषणा की। इसके बाद उन्होंने सभा में घोषित किए गए दान की सूची पढ़ी।

इसके बाद नागार्जुन के ‘मौलिक ज्ञान’ से अभिवादन का एक श्लोक पढ़ा गया। इसका भावार्थ इस प्रकार है-

‘प्रतीत्य समुत्पाद में कोई अंत नहीं है, कोई उत्पत्ति नहीं है, कोई विनाश नहीं है, कोई स्थायित्व नहीं है, कोई आगमन नहीं है, कोई जाना नहीं है, कोई पृथकता नहीं है और कोई समानता नहीं है, मैं पूर्ण बुद्ध को नमन करता हूँ, सभी शिक्षकों में सर्वोच्च, जिन्होंने [यह] शांति सिखाई, जो विस्तार से मुक्त है,’ जे त्सोंगखापा द्वारा रचित ‘प्रतीत्य समुत्पाद की शिक्षा देने के लिए बुद्ध की स्तुति’ का पाठ हुआ। सातवें दलाई लामा, ग्यालवा कलसांग ग्यात्सो की ‘अवलोकितेश्वर की स्तुति’ का जाप करने के बाद, पूरी सभा ने भूकंप से प्रभावित सभी लोगों के लिए अवलोकितेश्वर के मंत्र- ओम मणि पद्मे हुंग का पाठ किया। सत्र का समापन ‘तीन रत्नों का आह्वान करते हुए सत्य वचनों की प्रार्थना’ के साथ हुआ। मंदिर से निकलने से पहले, परम पावन ने सभा को इस प्रकार संबोधित किया:

‘प्रतीत्य समुत्पात में
न कोई अंत है, न कोई उत्पत्ति,
न कोई विनाश, न कोई स्थायित्व,
न कोई आगमन, न कोई निर्गम,
न कोई पृथकता और न ही कोई एकता,
मैं उन पूर्ण बुद्ध को नमन करता हूँ, जो
सभी गुरुओं में सर्वोच्च गुरु हैं,
जिन्होंने इस शांति का उपदेश दिया,
जो विस्तार से रहित है,’

इसके बाद जे सोंगखापा रचित ‘प्रतीत्य समुत्पादन का उपदेश देने के लिए बुद्ध की स्तुति’ का पाठ हुआ।

सातवें दलाई लामा, ग्यालवा कलसांग ग्यात्सो की ‘अवलोकितेश्वर की स्तुति’ का जाप करने के बाद पूरी सभा ने भूकंप से पीड़ित और प्रभावित लोगों के लिए अवलोकितेश्वर के मंत्र- ‘ओम मणि पद्मे हुं’ का जाप किया। सत्र का समापन ‘त्रिरत्नों का आह्वान करते हुए सत्य वचनों की प्रार्थना’ के साथ हुआ।

सभा के समापन होने पर मंदिर से प्रस्थान करने से पहले परम पावन ने संबोधित करते हुए कहा-

‘हाल ही में तिब्बत में भूकंप की विनाशलीला देखने को मिली है। इसमें बड़ी संख्या में लोगों की जान गई और जान-माल की व्यापक तबाही हुई है। यह बुरे कर्मों के कारण हुआ। धर्म में आस्था न रखने वाले लोगों के पास दुःख से पीड़ित होने के अलावा कोई चारा नहीं है। हालांकि, हममें से जो लोग बौद्ध धर्म में आस्था रखते हैं, वे ऐसे अनुभवों को अतीत में किए गए पापकर्मों को शुद्ध करने और भविष्य में सकारात्मक विचारों को विकसित करने के अवसर के रूप में देख सकते हैं। इस तरह हम इस आपदा को अवसर में बदल सकते हैं। इस तरह की आपदाएं हमें बोधिचित्त के जागृत मन को उत्पन्न करने और शून्यता के दृष्टिकोण को समझने में पूरे मन वचन और कर्म से संलग्न होने के हमारे संकल्प को और मजबूत करने में मदद कर सकती हैं।

‘जब तिब्बत में भूकंप जैसी आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में हम सम्यक ज्ञान के बारे सोचने का तरीका अपना कर इसे अपने कल्याण के लिए कर सकते हैं। ऐसा करने की पूरी क्षमता हमारे हाथ में है। हालांकि पापकर्म परिपक्व हो चुके हैं, फिर भी हम इसे अपने दृढ़ संकल्प को मजबूत करने के अवसर के रूप में ले सकते हैं।’

जहां तक मेरा अपने सोचने के तरीके का सवाल है, तो भूकंप से हुई तबाही की खबरें देखकर बोधिचित्त, शून्यता के दृष्टिकोण को विकसित करने और अवलोकितेश्वर से प्रार्थना करने का मेरा संकल्प दृढ़ और मजबूत हुआ है। हताश होने और दुख में रोने के बजाय, विपत्ति को आत्मज्ञान के मार्ग में एक कारक के रूप में बदलना एक ऐसा अवसर है, जिसका हम सभी साधक लाभ उठा सकते हैं। हालांकि तिब्बत में कई प्राकृतिक आपदाएँ हो रही हैं, हमें इन दुर्भाग्यों को आत्मज्ञान के मार्ग पर चलने के कारकों में बदलने में सक्षम होना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए कि ऐसा करते हुए हम वास्तव में मार्ग पर प्रगति कर सकें। बचे हुए लोगों को भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए बल्कि नए सिरे से दृढ़ संकल्प लेना चाहिए।

‘तिब्बत निस्संदेह अवलोकितेश्वर के अनुयायियों की भूमि है। इसलिए, हमें लगातार और मन- वचन- कर्म से सकारात्मक विचारों को विकसित करना चाहिए। अपरिवर्तनीय कर्म के फल के तौर पर जो विनाश हुआ है, उसकी रिपोर्ट देखना वास्तव में दुखद रहा है। हालांकि, यदि हम इस त्रासदी को आत्मज्ञान के लिए एक वास्तविक आकांक्षा विकसित करने के अवसर के रूप में देखें तो यह हमारे लिए मददगार ही साबित होगा। ऐसा करके हम अवलोकितेश्वर को प्रसन्न कर सकते हैं।

‘हमें निराश नहीं होना चाहिए। भूकंप प्राकृतिक आपदाएं हैं। हम इसके लिए किसी और को दोष नहीं दे सकते। वे प्राकृतिक घटनाएं हैं, मानवीय गतिविधियों का परिणाम नहीं। इस तरह से देखा जाए तो इसमें चीनियों पर आरोप थोपने का कोई कारण नहीं बनता है। चूंकि जो कुछ हुआ है वह पापकर्म का परिणाम है, इसलिए दुनिया भर के तिब्बतियों, तिब्बत और अन्य जगहों पर रहने वाले लोगों को सकारात्मक विचारों को विकसित करने पर काम करना चाहिए।’

‘जहां तक चीन का सवाल है, ऐसा लगता है कि चीन में बौद्धों की संख्या बढ़ रही है और उनमें से बड़ी संख्या मेरे नाम पर सकारात्मक तरीके से सोचती है।’

‘जैसा कि मैंने पहले कहा, हमें खुद को निराश नहीं होने देना चाहिए बल्कि उन सकारात्मक विचारों को विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए जिन्हें हमने पहले विकसित नहीं किया है और उन सकारात्मक विचारों को बढ़ाना चाहिए जिन्हें हमने पहले विकसित किया है। हमारे बीच उन बंधनों को बनाए रखना महत्वपूर्ण है जो हमारे अडिग विश्वास और प्रतिबद्धता पर आधारित हैं।’

‘जहां तक मेरा सवाल है, मैंने जिस तरह से अपना जीवन जिया है, उसमें मैं वास्तव में दृढ़ निश्चयी रहा हूं। आगे भी जब तक मैं सौ साल से अधिक का नहीं हो जाता, तब तक मैं दृढ़ निश्चयी बना रहूंगा। हम सभी को दृढ़ निश्चयी होना चाहिए और प्रतिदिन बोधिचित्त और शून्यता के दृष्टिकोण को कठोर साधना के माध्यम से विकसित करना चाहिए। यह एक ऐसा अर्पण है जो वास्तव में बुद्ध को प्रसन्न करेगा। यह इस लोक और परलोक के लिए पुण्य अर्जित करने का सबसे अच्छा तरीका है। ऐसा करके हम दूसरों के लिए भी उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं कि क्रोध और आसक्ति के विचारों को कैसे कम किया जाए और अपने भीतर शांति कैसे लाई जाए।’

‘आम तौर पर दुनिया भर के लोग तिब्बतियों की प्रशंसा करते हैं। वे हमारे गर्मजोशी भरे स्वभाव से प्रभावित होते हैं और तिब्बती जीवन शैली की सराहना करते हैं। मेरे कई मित्र हैं जो तिब्बतियों के अच्छे व्यवहार का सम्मान करते हैं।’

‘मैंने आपको पहले ही बताया है कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूँ। अगर मेरे सपनों और अन्य संकेतों के फल का अनुमान लगाया जाए, तो मैं ११० से अधिक वर्षों तक जीवित रह सकता हूं। इस दौरान मैं अपना सर्वश्रेष्ठ करूंगा, और आप जैसे मेरे सभी धर्ममित्रों को भी अपना सर्वश्रेष्ठ करना चाहिए। तिब्बत में जो त्रासदी हुई है, उसको लेकर न तो क्रोध करना चाहिए और न ही ऐसा कुछ जो हमें निराश करे। यह समझकर कि कठिनाइयों को ज्ञान के मार्ग के कारकों में कैसे बदला जाए, हमें इस आपदा के बारे में अपनी सोच को अवसर में बदलने में सक्षम होना चाहिए।’

तिब्बती समुदाय के सदस्य
तिब्बत में हाल ही में आए भूकंप के पीड़ितों के लिए प्रार्थना के दौरान ताशी ल्हुनपो मठ के मुख्य सभा हॉल में बुद्ध प्रतिमा के सामने परम पावन दलाई लामा
तिब्बत में हाल ही में आए भूकंप के पीड़ितों के लिए प्रार्थना समारोह की शुरुआत में एक वरिष्ठ भिक्षु समर्थकों की सूची और कार्यक्रम का विवरण पढ़ते हुए
हाल ही में तिब्बत में आए भूकंप के पीड़ितों के लिए परम पावन दलाई लामा द्वारा कर्नाटक के बायलाकुप्पे स्थित ताशी ल्हुनपो मठ में आयोजित प्रार्थना समारोह के दौरान मुख्य सभा भवन के अंदर का दृश्य।
हाल ही में तिब्बत में आए भूकंप के पीड़ितों के लिए परम पावन दलाई लामा द्वारा कर्नाटक के बायलाकुप्पे स्थित ताशी ल्हुनपो मठ में आयोजित प्रार्थना समारोह के दौरान मुख्य सभा भवन के अंदर का दृश्य।

विशेष पोस्ट

स्वर्गीय हंगकर रिनपोछे की माता का लंबी बीमारी और दुःख के बाद निधन हो गया।

13 May at 10:44 am

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ को हार्दिक बधाई दी।

9 May at 11:40 am

परम पावन 14वें दलाई लामा ने परम पावन पोप लियो XIV को हार्दिक शुभकामनाएं दीं

9 May at 10:26 am

दलाई लामा के उत्तराधिकार में चीन के हस्तक्षेप के प्रयासों का यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में कड़ा विरोध

8 May at 9:05 am

परम पावन दलाई लामा ने दीर्घायु प्रार्थना में भाग लिया

7 May at 9:10 am

संबंधित पोस्ट

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने टीसीसीसी तिब्बती भाषा एवं संस्कृति स्कूल में तिब्बतियों को संबोधित किया

2 days ago

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने बेलेविले-ट्रेंटन तिब्बती समुदाय का पहला आधिकारिक दौरा किया

2 days ago

सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग ने अपर टीसीवी स्कूल में 11वें पंचेन लामा के जबरन गायब होने की 30वीं वर्षगांठ मनाई

4 days ago

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने कनाडाई संसद सदस्य य्वोन बेकर से मुलाकात की

4 days ago

सांसद तेनपा यारफेल और फुरपा दोरजी ग्यालधोंग ने नेपाल में दोथांग नोरज़िनलिंग का दौरा किया

5 days ago

हमारे बारे में

महत्वपूर्ण मुद्दे
तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
मध्य मार्ग दृष्टिकोण
चीन-तिब्बत संवाद

सहयोग
अपील
ब्लू बुक

CTA वर्चुअल टूर

तिब्बत:एक तथ्य
तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
तिब्बतःएक अवलोकन
तिब्बती:राष्ट्रीय ध्वज
तिब्बत राष्ट्र गान(हिन्दी)
तिब्बत:स्वायत्तशासी क्षेत्र
तिब्बत पर चीनी कब्जा:अवलोकन
निर्वासन में तिब्बती समुदाय

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
संविधान
नेतृत्व
न्यायपालिका
विधायिका
कार्यपालिका
चुनाव आयोग
लोक सेवा आयोग
महालेखा परीक्षक
१७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां

केंद्रीय तिब्बती विभाग
धार्मीक एवं संस्कृति विभाग
गृह विभाग
वित्त विभाग
शिक्षा विभाग
सुरक्षा विभाग
सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
स्वास्थ विभाग

संपर्क
भारत तिब्बत समन्वय केंद्र
एच-10, दूसरी मंजिल
लाजपत नगर – 3
नई दिल्ली – 110024, भारत
दूरभाष: 011 – 29830578, 29840968
ई-मेल: [email protected]

2021 India Tibet Coordination Office • Privacy Policy • Terms of Service