
नई दिल्ली। भारत-तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम) की 26वीं वर्षगांठ नई दिल्ली में आईटीओ के पास गालिब इंस्टीट्यूट में मनाई गई। इस अवसर पर वहां एक विचारोत्तेजक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के गायन के साथ हुई। इस अवसर पर प्रमुख नेता, शिक्षाविद और स्थानीय आम लोग तिब्बती मुद्दे के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हुए साथ खड़े हुए।
बीटीएसएम के मार्गदर्शक डॉ. इंद्रेश कुमार ने मुख्य भाषण दिया। श्री डॉ. इंद्रेश कुमार ने हिंसा और विस्तारवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘तिब्बत आज चीन के कब्जे में है। दूसरी ओर भारत ने भी बड़ी कुर्बानी के बाद अपनी आजादी हासिल की है। भारत ने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया, इसने हमेशा सम्मान और खुले दिल से तिब्बत मुद्दे को समर्थन दिया है।’ उन्होंने बातचीत और अहिंसा के माध्यम से चीन-तिब्बत संघर्ष को हल करने और भारत को सुरक्षित करके इसे मजबूत करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने संघर्ष और आतंकवाद को मिटाने के लिए वैश्विक एकजुटता की अपील की। इसके साथ ही उन्होंने दोहराते हुए नारा लगाया, ‘तिब्बत की आजादी, हिमालय की मुक्ति- जय भारत, जय हिमालय, जय तिब्बत।’
मुख्य अतिथि माननीय मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने वरिष्ठ आरएसएस प्रचारक माननीय डॉ. इंद्रेश कुमार (के मार्गदर्शन में भारत तिब्बत सहयोग मंच के सार और उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए सभा को संबोधित किया। बीटीएसएसम की स्थापना 05 मई 1999 को धर्मशाला में परम पावन दलाई लामा, आरएसएस के तत्कालीन सरकार्यवाह माननीय के.सी. सुदर्शन जी और अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य लोगों की शुभ उपस्थिति में हुई थी। माननीय मुख्यमंत्री ने तिब्बत मुक्ति साधना के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया और इस बात को अंगीकार किया कि, ‘मेरे आधिकारिक कार्यक्रमों के तहत मेरा इस कार्यक्रम में शामिल होना सम्मान की बात है।’ उन्होंने तिब्बती लोगों के लिए भारत का अटूट समर्थन व्यक्त किया। इसके अलावा, उन्होंने तिब्बती भाइयों-बहनों के सामने आने वाले मुद्दों के निरंतर समर्थन और समाधान के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
बीटीएसएम के राष्ट्रीय महासचिव श्री पंकज गोयल ने संघ के उद्देश्य और मिशन का परिचय देते हुए सभा को संबोधित किया। श्री पंकज गोयल ने तिब्बत मुद्दे की वकालत करने में भारत-तिब्बत सहयोग मंच की सक्रिय भूमिका पर जोर दिया, जिसे वे अपने दिल से प्यार करते हैं। उन्होंने अपने जीवन के 20 से अधिक वर्ष संघ को समर्पित किए हैं। उन्होंने टिप्पणी की कि बीटीएसएम की 26वीं वर्षगांठ सिर्फ एक उत्सव नहीं है, बल्कि इसकी स्थापना के लिए स्थायी चुनौतियों की याद दिलाती है। ताकि हम तिब्बती लोगों के साथ उनके लंबे और दर्दनाक संघर्ष में खड़े रहें।
दिल्ली शिक्षक विश्वविद्यालय के कुलपति श्री प्रो. धनंजय जोशी ने इस कार्यक्रम में शामिल होने पर खुद को सम्मानित महसूस किया। उन्होंने तिब्बत के मुद्दे पर काम करने की प्रतिबद्धता जताई और यहां तक कि संघ में शामिल होने और अपनी सेवा देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। इसके साथ ही उन्होंने आज से ही भारत-तिब्बत सहयोग मंच का सदस्य होने की घोषणा की।
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सुरक्षा विभाग की कलोन डोल्मा ग्यारी ने सबसे पहले भारत सरकार और उसके लोगों को तिब्बत मुद्दे के प्रति अटूट समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और उनके प्रति आभार व्यक्त किया। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत-तिब्बत सहयोग मंच को उसकी 26वीं वर्षगांठ पर बधाई दी। उन्होंने धर्मशाला में परम पावन 14वें दलाई लामा के आशीर्वाद से इसकी स्थापना के बाद से और तत्कालीन आरएसएस सर कार्यवाह माननीय सुदर्शन जी, सर कार्यवाह, वरिष्ठ आरएसएस प्रचारक माननीय डॉ. इंद्रेश कुमार और श्री पंकज गोयल सहित विशिष्ट गणमान्यों के मार्गदर्शन में बीटीएसएम द्वारा बिना शर्त समर्थन और अथक योगदान पर सार- संक्षेप में प्रकाश डाला।
उन्होंने दिल्ली सरकार की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि उनकी उपस्थिति जो तिब्बती आंदोलन के लिए एक प्रेरणा है। इसके अलावा, उन्होंने भारत और तिब्बत के बीच स्थायी रिश्ते में विश्वास पैदा करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। कलोन डोल्मा ग्यारी ने मुख्यमंत्री के बयान को उद्धृत करते हुए कहा, ‘दुनिया को पता होना चाहिए कि हिंदुस्तान कभी तिब्बत के साथ नहीं छोड़ेगा। भारत और तिब्बत की दोस्ती और संबंध हमेशा कायम रहेगी।’
कलोन डोल्मा ग्यारी ने भारत में रहने वाले तिब्बतियों की भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा, ‘हमें हिंदुस्तान में रहने पर गर्व है और हम तिब्बती लोग हमेशा हिंदुस्तान के साथ हैं’। इसके अलावा, उन्होंने परम पावन 14वें दलाई लामा के 90वी वर्षगांठ को ‘करुणा के वर्ष’ के रूप में वैश्विक स्तर पर मनाए जाने का भी उल्लेख किया। उन्होंने परम पावन के कम से कम 113 वर्षों तक जीने की उनकी आकांक्षा के अनुरूप, उनके दीर्घायु होने के लिए सामूहिक प्रार्थना का आग्रह किया। उन्होंने याद दिलाया कि विश्व शांति, करुणापूर्ण कार्रवाई और मानवता की बेहतरी के लिए परम पावन का अटूट समर्पण दुनिया भर के लोगों को प्रेरित और मार्गदर्शन करता रहता है।
इस समारोह में आईटीसीओ टीम ने अपने समन्वयक ताशी देकि के नेतृत्व में तिब्बत से संबंधित 500 से अधिक पुस्तकों और पत्रिकाओं का वितरण किया। इनमें परम पावन 14वें दलाई लामा द्वारा लिखी उनकी अपनी आत्मकथा ‘वॉयस फॉर द वॉयसलेस’ पुस्तक भी शामिल थी। यह पुस्तक माननीया मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता को भेंट किया गया। इस संगोष्ठी में 250 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें भारत तिब्बत सहयोग मंच, तिब्बती सेटलमेंट अधिकारी दोरजी शेरिंग, क्षेत्रीय तिब्बती महिला संघ, क्षेत्रीय तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन, क्षेत्रीय कल्याण संघ (मजनूं का टीला), क्षेत्रीय तिब्बती संघ (लद्दाख बौद्ध विहार), विशेष सीमा बल (एसएफएफ) पूर्व-सेना संघ और क्षेत्रीय तिब्बती समुदाय के अन्य प्रतिनिधि शामिल रहे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बीटीएसएम की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष भूषण कुमार जैन ने की और समारोह का संचालक बीटीएसएम के जगदंभा ने किया। समारोह का समापन भारत और तिब्बत के बीच एकता, करुणा और स्थायी मित्रता के मजबूत संदेश के साथ हुआ।
-भारत तिब्बत समन्वय कार्यालय की रिपोर्ट




