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संवाद दिल से करें, औपचारिकता नहीं: दलाईलामा

January 17, 2014

दैनिक जागरण, 16 जनवरी 2014

2014-01-13-08रायपुर [निप्र]। ‘भाइयो एवं बहनो, वर्तमान राजनीतिक व आर्थिक अस्थिरता के दौर में मानवता बहुत जरूरी है। हम सभी पहले अच्छे इंसान बनें। दुनिया में करीब सात अरब जनसंख्या है। सभी के अंदर अच्छे विचार हो, यह जरूरी नहीं है, लेकिन हमारा प्रयास है कि संपूर्ण विश्व में मानवता व सहिष्णुता का वातावरण बने।

मैं, सभी देशों के नागरिकों को अपना भाई-बहन मानता हूं। आप भी मुझे अपने भाई के समान मानें। संवाद दिल से करें, किसी औपचारिकता की जरूरत नहीं है।’ यह बात शांति के नोबल पुरस्कार से सम्मानित तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कही। वे बुधवार को पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर में ‘नागार्जुन दर्शन’ पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने ‘बुद्धि और करुणा’ पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री अजय चंद्राकर व तिब्बती अध्ययन केंद्रीय विश्वविद्यालय सारनाथ के कुलपति प्रो.एन.वांग सेम्टन विशेष रूप से उपस्थित थे।

आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा कि मस्तिष्क और हृदय का संबंध करुणा से है और यही मानवता का प्रथम सोपान है। एक बच्चा जब मां की गोद में रहता है तो वह अपने आपको अत्यंत सुरक्षित महसूस करता है। वहीं मां की गोद के बाहर असुरक्षित महसूस करने लग जाता है। इसी असुरक्षा के भाव से अनेक विकार पैदा होने लगते हैं। इसी स्थिति को दूर करने के लिए प्रेम और स्नेह की शिक्षा दी जाए। हम दोषारोपण की प्रवृत्ति को जिससे दूर कर पाएं, यही भारतीय संस्कृति का मूल आधार है। मेडिटेशन से हम आत्मा व शारीरिक विकृति को दूर कर सकते हैं।

2014-01-13-01भारतीय गुरुओं के हम चेले

लामा ने कहा, जितने भी महान दार्शनिक व चिंतक हुए, वे सभी भारतीय थे। भारत में आज भी ऐसे चिंतक जन्म ले सकते हैं। हम सभी तिब्बती भारत को अपना आध्यात्मिक गुरु मानते हैं। हम भारतीय गुरुओं के चेले हैं। इस दौरान श्री लामा ने दर्शकों के सवालों के भी नम्रता पूर्वक जवाब दिए।

विश्व में जाना जाएगा छत्तीसग़़ढ दर्शन : अजय चंद्राकर

संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि दुनिया में जो शून्यवाद दर्शन निकला उसका प्रवर्तन छत्तीसग़़ढ में हुआ। सिरपुर में विश्व शांति के मसीहा दलाई लामा के आने के बाद अब छत्तीसग़़ढ के दर्शन पर एक नया दृष्टिकोण आएगा। यह अब पूरे विश्व में जाना जाएगा। छत्तीसग़़ढ के संपूर्ण विरासत पूरे विश्व के सामने आएगा। छत्तीसग़़ढ सरकार भी नागार्जुन दर्शन को लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रसास करेगा।

कुलगीत से कार्यक्रम की शुआत

इसके पहले कार्यक्रम की शुआत रविवि के कुलगीत ‘विश्वभर की चेतना का स्वर बने..’ से हुई। कायक्रम की अध्यक्षता रविवि के कुलपति डॉ.एसके पांडेय ने किया। कार्यक्रम में महापौर डॉ.किरणमयी नायक, अपर मुख्य सचिव डीएस मिश्रा, डॉ.सच्चिदानंद जोशी, प्रो.एसके पाटील, पुरातत्वविद एनके शर्मा, डॉ.हर्षवर्धन तिवारी, केके चंद्राकर, प्रो. दिनेश नंदिनी परिहार, प्रो.रमा पांडेय सहित विवि के अध्यापक, छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में मैनपाट से आए तिब्बतीय बैद्ध धर्म के अनुयायी भी शामिल हुए।


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