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स्वतंत्रता तिब्बत,सर्वोच्च प्राथमिकता: सांगेय

April 28, 2011

स्वतंत्रता तिब्बत,सर्वोच्च प्राथमिकता: सांगेय
तिब्बत की निर्वासित सरकार के नवनियुक्त प्रधानमंत्री लोबसांग सांगेय.

तिब्बत की निर्वासित सरकार के नवनियुक्त प्रधानमंत्री लोबसांग सांगेय ने कहा है कि तिब्बत में स्वतंत्रता लाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है.

इसके साथ उन्होंने चीन से कहा कि वह तिब्बत से जुड़ी अपनी कट्टर नीति की समीक्षा करे.

सांगेय ने कहा कि 76 साल के दलाई लामा फिर से पोटाला पैलेस (तिब्बत) में लौटेंगे, जहां से उन्हें 50 साल पहले भागना पड़ा था.

हार्वर्ड विविद्यालय से पढ़ाई करने वाले सांगेय को 20 मार्च को हुए चुनाव में 55 फीसदी मत हासिल हुए. उन्होंने दो उम्मीदवारों तेनजिन नामग्याल तेथोंग और त्राश वागेद को पराजित किया.

सांगेय ने एक बयान जारी कर कहा, हम तिब्बत के नाग्स और आंदी में कड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. तिब्बती लोगों की हत्याएं की जा रही हैं और चीन की सरकार उन्हें गिरफ्तार कर रही है. मैं सभी तिब्बतियों और तिब्बत के दोस्तों से आग्रह करता हूं कि चीन के कब्जे वाले तिब्बत के लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए मेरा सहयोग करें.

उन्होंने कहा, तिब्बत को लेकर चीन अपनी कट्टर नीति की समीक्षा करे और अधिक उदार नीति अपनाए. अगर चीन नई विश्वशक्ति बनना चाहता है तो यह आर्थिक और सैन्य ताकत से संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए उसे नैतिक रूप से मजबूती दिखानी होगी.

सांगेय ने रेडियो फ्री एशिया की तिब्बती सेवा को दिए एक साक्षात्कार में कहा दलाई लामा ने उन तिब्बती लोगों को राजनीतिक अधिकारों का हस्तांतरण करने का फैसला किया. जिन्हें उन्होंने अपनी निर्वासित सरकार के प्रमुख के तौर पर चुना था.

उन्होंने कहा हमें दलाई लामा की इच्छा और विवेक का सम्मान करना चाहिए और उनके फैसले के कार्यान्वयन के तरीके खोजना चाहिए.निर्वासित तिब्बती सरकार का प्रधानमंत्री निर्वाचित घोषित किए जाने के बाद यह सांगेय का पहला साक्षात्कार था.

चुनाव के परिणाम की घोषणा से दो दिन पहले सांगेय ने हार्वर्ड में एक बैठक में कहा था ‘तिब्बत की स्वतंत्रता हमेशा से पहली प्राथमिकता रही है और रहेगी’ घरेलू मोर्चें पर शिक्षा में सुधार मेरी पहली प्राथमिकता है.

तिब्बत पर चीन के शासन के तनावपूर्ण राजनीतिक मुद्दे पर सांगेय ने कहा कि वह मध्य मार्ग या तिब्बत के लिए चीनी संप्रभुता के दायरे में स्वायत्तता की वकालत करते हैं.

उन्होंने हार्वर्ड में एक विज्ञप्ति में कहा यह तिब्बत की नीति है और यदि मैं निर्वाचित होता हूं तो मुझे इसका पालन करना होगा और मैं ऐसा करूंगा.

सांगेय मानते हैं कि चुनाव उन्हें विश्व मंच पर, एक धर्मनिरपेक्ष सरकार में तिब्बती नेता के तौर पर वैधता प्रदान करेगा. लेकिन चीन द्वारा उन्हें मान्यता दिए जाने की संभावना नहीं है. कुछ चीनी अखबारों ने उन्हें ‘आतंकवादी’ भी कहा है.

उन्होंने कहा कि वह कई चीनी शोधार्थियों को निजी तौर पर जानते हैं और ‘मुझे बातचीत में विश्वास है.

उन्होंने कहा कि ‘दलाई लामा हमेशा मेरे आध्यात्मिक नेता और प्रेरणासोत रहेंगे’ तथा उन्हें उम्मीद है कि वह (दलाई लामा) एक ‘वरिष्ठ परामर्शदाता’ की भूमिका निभाएंगे.

सांगेय मई महीने में धर्मशाला आ जाएंगे जहां से निर्वासित तिब्बत सरकार काम करती है. वर्तमान प्रधानमंत्री समधोंग रिनपोचे के 14 अगस्त को पद छोड़ने से पहले ही वे अपने मंत्रिमंडल का गठन करेंगे.


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