मैं जापान के हिरोशिमा में हाल में ही आयोजित जी-७ नेताओं के शिखर सम्मेलन में दिए गए ‘परमाणु हथियार मुक्त दुनिया’ के आह्वान संबंधी संयुक्त बयान का तहेदिल से स्वागत करता हूं। यह संयुक्त बयान दुनिया की इस वास्तविकता को दर्शाता है कि हम दिनानुदिन एक- दूसरे पर निर्भर होती जा रही दुनिया में रह रहे हैं और इस २१वीं सदी को शांति और सहयोग की सदी बनाने की ओर अग्रसर हैं।
मैं दुनिया को विसैन्यीकरण करने और सभी परमाणु हथियारों को समाप्त करने का अभियान चला रहा हूं। ऐसे में मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह एक सकारात्मक पहल है। जनवरी- २०२२ में भी मैंने पांच परमाणु-हथियार संपन्न देशों के उस संयुक्त प्रतिज्ञा की गर्मजोशी से सराहना की थी कि परमाणु युद्ध नहीं जीता जा सकता है और परमाणु युद्ध कभी नहीं लड़ा ही जाना चाहिए।
दुनिया के कई हिस्सों में अनिश्चितता और उथल-पुथल के इस दौर में यह बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम सभी संवाद और कूटनीति के माध्यम से समस्याओं को हल करने के लिए गंभीर और ठोस प्रयास करें। इसलिए जी- ७ देशों की प्रतिबद्धताएं शक्तिशाली संदेश देती हैं और इन हथियारों से मानवता पर मंडराने वाले खतरे को समाप्त करने की महतता को मान्यता देती हैं।
परमाणु हथियारों के बिना दुनिया संभव है और यह जरूरी भी है। हमारी आपस में जुड़ी हुई दुनिया में हिंसा उन लोगों को भी संकट और कष्ट में डाल देती है, जो संघर्ष से दूर हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि हम सभी मानवता की एकता को याद रखेंगे और यह याद रख सकते हैं कि किसी के भी खिलाफ हिंसा, जिसमें परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भी शामिल है, हम सभी को नुकसान पहुंचाता है।
मैं प्रार्थना करता हूं कि यह २१वीं सदी अधिक करुणाशील, शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण विश्व बने।