तिब्बती मानवाधिकार एवं लोकतंत्र केंद्र (टीसीएचआरडी) तिब्बती प्रांत अमदो में सिचुआन प्रांत के न्गाबा (चीनी: अबा) स्वायत्त प्रिफेक्चर स्थित कीर्ति मठ के पूर्व लाइब्रेरियन लोबसंग थापखे को हाल ही में सुनाई गई सजा की कड़ी निंदा करता है। लोबसंग थापखे पर केवल यह आरोप लगाया गया कि उऩ्होंने भारत से तिब्बत में धार्मिक और सांस्कृतिक पुस्तकों को आयात किया और वितरित करने का प्रयास किया। इसके साथ ही उन्होंने परम पावन दलाई लामा और कीर्ति रिनपोछे के लिए वित्तीय भेंट जुटाने के वास्ते तिब्बती बौद्ध धर्म की स्थानीय रिवाजों में खुद को शामिल किया था।
टीसीएचआरडी द्वारा प्राप्त जानकारी से पुष्टि होती है कि ५६ वर्षीय लोबसंग थापखे को जून २०२३ में गिरफ्तार किया गया था और तब से उन्हें लापता रखा गया था। उन्हें हाल ही में तीन साल की सजा सुनाई गई है। वह सिचुआन प्रांत के देयांग शहर के हुआंग जू टाउन में देयांग जेल में कैद है।
पिछले महीने लोबसंग थापखे के परिवार को एक संक्षिप्त नोटिस मिला जिसमें उन्हें सूचित किया गया कि थापखे को तीन साल जेल की सजा सुनाई गई है। हालांकि, उनके स्थान और ठिकाने के बारे में कोई विवरण नहीं दिया गया था। इसके साथ ही उनके परिवार को फैसले को सार्वजनिक करने के खिलाफ चेतावनी दी गई थी।
लोबसंग थापखे पर भारत से बौद्ध दर्शन और विज्ञान पर धार्मिक और विद्वानों के ग्रंथों को आयात करने के लिए तथाकथित ‘अलगाववादियों’ के साथ सहयोग करने का आरोप लगाया गया। ‘अलगाववादी’ तिब्बत में एक ऐसा लेबल है जिसका चीन निर्वासित तिब्बती समुदाय के लिए दुरुपयोग करता है। इनमें कीर्ति रिनपोछे की किताबें और दक्षिणी भारत के गेशों की रचनाएं शामिल थीं, जिन्हें कीर्ति मठ के पुस्तकालय में रखा गया था। उनके द्वारा आयात और वितरित किए गए ग्रंथों में कोई भी राजनीतिक सामग्री नहीं होने के बावजूद चीनी सरकार ने उन्हें कैद कर लिया।
गिरफ्तारी से पहले उन्हें न्गाबा पुलिस स्टेशन में बुलाया गया था और कई मौकों पर कई दिनों तक हिरासत में रखा गया था। २०१७ और २०१८ के बीच जब कीर्ति मठ के चाकडोर नामक एक लामा का निधन हुआ तो लोबसांग थापखे को दलाई लामा, कीर्ति रिनपोछे और भारत के अन्य लामाओं को प्रार्थना के रूप में २००० चीनी युआन भेजने के लिए न्गाबा काउंटी पुलिस स्टेशन में कई दिनों तक हिरासत में रखा गया और उनसे पूछताछ की गई।
तिब्बती बौद्ध धर्म की सदियों पुरानी प्रथाओं के अनुसार, तिब्बती लोग किसी विशिष्ट लामा के साथ कर्म संबंध स्थापित करने के लिए क्याब-तेन और न्गो-तेन का प्रसाद मुद्रा के रूप में चढ़ाते हैं। मौद्रिक प्रसाद एक लामा के धार्मिक और दान कार्य को सक्षम करने में भी सहायता करते हैं। क्याब-तेन प्रसाद आमतौर पर नुकसान से सुरक्षा पाने या सामान्य रूप से बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है। न्गो-तेन में किसी मृत व्यक्ति के रिश्तेदार, बच्चे या दोस्त मृत व्यक्ति के पैसे या संपत्ति जमा करते हैं जो उस व्यक्ति के लिए प्रार्थना करने के लिए लामा को दी जाती है।
खादोन (पिता) और झोका (माता) के पुत्र लोबसंग थापखे ने विभिन्न पुस्तक संग्रहों को आयात करके कीर्ति मठ में पुस्तकालय को काफी समृद्ध किया है। एक सूत्र ने टीसीएचआरडी को बताया कि ‘उनके प्रयास न केवल उनके पैमाने के लिए उल्लेखनीय थे, बल्कि चीनी अधिकारियों के तीव्र दबाव के प्रति उनकी साहसिक अवज्ञा का द्योतक भी है। चीनी अधिकारी नियमित रूप से ऐसी गतिविधियों को सीमित करने की चेतावनी देते रहते थे। परिणामस्वरूप, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में जेल में डाल दिया गया।’
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के संविधान का अनुच्छेद- ३६ नागरिकों को धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है, जिसमें इस तरह के वादे शामिल हैं कि, ‘कोई भी सरकारी विभाग, सामाजिक संगठन या व्यक्ति नागरिकों को किसी भी धर्म में विश्वास करने या न करने के लिए मजबूर नहीं करेगा, न ही वे धार्मिक विश्वास या अविश्वास के आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव करेंगे।’ इस अनुच्छेद में आगे कहा गया है कि ‘सरकार सामान्य धार्मिक गतिविधियों की रक्षा करेगी’। टीसीएचआरडी चीनी अधिकारियों से लोबसंग थापखे के शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक कल्याण की गारंटी देने का आह्वान करता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह करता है कि वे चीन पर उन्हें अन्यायपूर्ण कारावास से तुरंत और बिना शर्त रिहा करने के लिए दबाव डालें।