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संयुक्त राष्ट्र दल को तिब्बत में अनुमति दे चीन : सांगय

February 4, 2013

दा सिविलयन 4 फरवरी 2013

नई दिल्ली. तिब्बतियों के राजनीतिक नेतृत्वकर्ता लोबसांग सांगय ने कहा है कि चीन की कठोर नीतियां तिब्बत में विफल साबित हुई हैं, और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि तिब्बत में आत्मबलिदान की बढ़ रही घटनाओं के आलोक में वहां संयुक्त राष्ट्र के एक दल को अनुमति देने के लिए चीन पर दबाव बनाए।

 निर्वासित तिब्बतियों के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित प्रधानमंत्री, सांगय ने नई दिल्ली यात्रा के दौरान एक विशेष बातचीत में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि वह चीन से कहे कि तिब्बत उसकी शांतिपूर्ण विकास और सौहाद्र्रपूर्ण नीतियों की एक कसौटी है।

सांगय ने कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख, शी जिनपिंग को तिब्बत के प्रति अपनी सरकार की नीतियों का एक समझदारी भरा आकलन करना चाहिए। जिनपिंग अगले महीने चीन के राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने वाले हैं।

सांगय ने कहा, “उन्हें (नया नेतृत्व) तिब्बत के अंदर की नीतियों की समीक्षा के लिए एक समिति गठित करनी चाहिए, और उसके बाद तिब्बती लोगों के प्रति नीतियों का एक समझदारी भरा आकलन करना चाहिए.. उन्हें इस दीर्घकालिक मुद्दे के समाधान के लिए फिर से बातचीत शुरू करनी चाहिए।”

सांगय ने कहा कि तिब्बती अपने संघर्ष में अधिक मजबूत हुए हैं, क्योंकि उनका नया नेतृत्व अधिक शिक्षित है।

सांगय ने कहा, “हम मजबूत हुए हैं, क्योंकि निर्वासित नया नेतृत्व अधिक शिक्षित, अधिक जानकार है और पहले की उस पीढ़ी की परम्परा को जारी रखने की कोशिश कर रहा है, जो प्रतिबद्ध थी, ईमानदार और बचनबद्ध थी.. हम पहले से अधिक मजबूत हुए हैं.. युवा पीढ़ी अपने जीवन के भविष्य के बदले तिब्बत पर अधिक ध्यान दे रही है।”

दलाई लामा द्वारा केवल धार्मिक मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी से मुक्त होने के बाद 2011 में निर्वाचित हुए सांगय ने तिब्बत में बढ़ रही आत्मबलिदान की घटना पर अपनी नाखुशी जाहिर की है।

लगभग 100 तिब्बती, 2009 से लेकर अबतक चीन सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध में तिब्बत में आत्मबलिदान कर चुके हैं। सांगय ने तिब्बतियों का आह्वान किया कि उन्हें शोक संवेदना और एकता जाहिर करने के लिए 11 फरवरी को तिब्बती नववर्ष नहीं मनाना चाहिए।

पूर्वी भारत के दार्जीलिंग के पास एक तिब्बती बस्ती में पैदा हुए और पले-बढ़े सांगय ने कहा कि यदि चीन वाकई में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का सम्मान करना चाहता है और एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति बनना चाहता है तो उसे उचित तरीके से तिब्बत का मुद्दा सुलझाना चाहिए।


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