भाषा
བོད་ཡིག中文English
  • मुख पृष्ठ
  • समाचार
    • वर्तमान तिब्बत
    • तिब्बत समर्थक
    • लेख व विचार
    • कला-संस्कृति
    • विविधा
  • हमारे बारे में
  • तिब्बत एक तथ्य
    • तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
    • तिब्बतःएक अवलोकन
    • तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज
    • तिब्बती राष्ट्र गान (हिन्दी)
    • तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र
    • तिब्बत पर चीनी कब्जा : अवलोकन
    • निर्वासन में तिब्बती समुदाय
  • केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
    • संविधान
    • नेतृत्व
    • न्यायपालिका
    • विधायिका
    • कार्यपालिका
    • चुनाव आयोग
    • लोक सेवा आयोग
    • महालेखा परीक्षक
    • १७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां
    • CTA वर्चुअल टूर
  • विभाग
    • धर्म एवं सांस्कृति विभाग
    • गृह विभाग
    • वित्त विभाग
    • शिक्षा विभाग
    • सुरक्षा विभाग
    • सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
    • स्वास्थ विभाग
  • महत्वपूर्ण मुद्दे
    • तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
    • चीन-तिब्बत संवाद
    • मध्य मार्ग दृष्टिकोण
  • वक्तव्य
    • परम पावन दलाई लामा द्वारा
    • कशाग द्वारा
    • निर्वासित संसद द्वारा
    • अन्य
  • मीडिया
    • तस्वीरें
    • विडियो
    • प्रकाशन
    • पत्रिका
    • न्यूज़लेटर
  • तिब्बत समर्थक समूह
    • कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – इंडिया
    • भारत तिब्बत मैत्री संघ
    • भारत तिब्बत सहयोग मंच
    • हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिबेट
    • युथ लिब्रेशन फ्रंट फ़ॉर तिबेट
    • हिमालय परिवार
    • नेशनल कैंपेन फॉर फ्री तिबेट सपोर्ट
    • समता सैनिक दल
    • इंडिया तिबेट फ्रेंडशिप एसोसिएशन
    • फ्रेंड्स ऑफ़ तिबेट
    • अंतरष्ट्रिया भारत तिब्बत सहयोग समिति
    • अन्य
  • संपर्क
  • सहयोग
    • अपील
    • ब्लू बुक

अखिल भारतीय तिब्बत समर्थक समूहों का सातवां सम्मेलन दिल्ली में आयोजित

November 28, 2022

tibet.net

28 नवंबर, 2022 

नई दिल्ली। दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय तिब्‍बत समर्थक समूहों के सातवें सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने 28 नवंबर, 2022 की सुबह कहा कि, ‘तिब्बती मुद्दे का सक्रिय रूप से समर्थन करने और चीन-तिब्बत संघर्ष को हल करने के लिए भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हस्तक्षेप और इरादा महत्वपूर्ण है।

दो दिवसीय सम्‍मेलन के उद्घाटन सत्र में उपस्थित अन्य विशिष्ट अतिथियों में भारत-तिब्बत मैत्री संघ (आईटीएफएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आनंद कुमार, माननीय संसद सदस्य और तिब्बत के लिए सर्वदलीय भारतीय संसदीय मंच (एपीआईपीएफटी)के संयोजक श्री सुजीत कुमार,भारत-तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम) के संरक्षक श्री इंद्रेश कुमार और कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़-इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक श्री रिनचेन खांडू खिरमे शामिल रहे।

चीन द्वारा तिब्बत में स्‍वायत्‍त शासन के अपने मनगढ़ंत प्रचारों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को वशीभूत करने के कुत्सित प्रयासों के बारे में टिप्‍पणी करते हुए सिक्योंग ने कहा, यदि‍ विश्‍व  बिरादरी को तिब्‍बत मुद्दे को हल करना है तो इससे ‘तिब्बत की ऐतिहासिक स्थिति के लिए वैध मान्यता की मांग करना’ सीटीए के लिए और अधिक प्रासंगिक हो गया है। लंबे समय से चले आ रहे चीन-तिब्बत संघर्ष के बीच ऐतिहासिक आख्यान को विश्लेषणात्मक रूप से समझने के लिए उन्होंने प्रोफेसर होन-शियांग लाओ की लिखित सामग्री के साथ माइकल वान वॉल्ट वान प्राग द्वारा तिब्बत ब्रीफ 20/20 पढ़ने का सुझाव दिया, जिनमें तिब्बत के कानूनी रूप से चीन का हिस्सा होने का खंडन करने के लिए इन लेखकों के दशक लंबे व्यापक शोध और शाही रिकॉर्ड के ज्ञान दोनों से पर्याप्त मात्रा में तथ्यात्मक सामग्री मौजूद है। ज्ञात है कि चीन तिब्‍बत पर अपने आधिपत्‍य की वैधता जताने के लिए लगातार प्रचारित करता रहा है।

यद्यपि भारत ने 2010 के बाद से तिब्बत को चीन के हिस्से के रूप में मानना बंद कर दिया है, लेकिन तिब्बत पर इसका रुख पिछले कुछ वर्षों में शक्तिशाली लोकतांत्रिक देश- अमेरिका की तुलना में एक निष्क्रिय समर्थक के रूप में ही रह गया है। अमेरिका ने पिछले दिनों तिब्बत पर कई कानूनों को पारित किया है। पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण रूप सेअमेरिकी कांग्रेस ने ‘तिब्बत रेसिप्रोकल एक्‍सेस बिल (तिब्‍बत में पारस्परिक पहुंच विधेयक), तिब्‍बत पॉलिसी एंड सपोर्ट बिल (तिब्बत नीति और समर्थन अधिनियम) और नवीनतम विधेयक पारित किए हैं,जिनमें तिब्बत की अनसुलझी स्थिति आदि को मान्यता दी गई है। जबकि भारत में अमेरिका जैसा तिब्बत विधेयक का संस्करण आने की संभावना निश्चित रूप से बहुत सीमित है, जिसे सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने पुष्टि की है। उन्‍होंने कहा कि चीन के साथ भारत की द्विपक्षीय संवेदनशीलता को तिब्बती प्रशासन अच्‍छी तरह से समझता है।

सिक्योंग पेन्‍पा छेरिंग ने कहा,‘हम समझते हैं और इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि हमारी उम्मीदें वास्तविकता पर आधारित रहें और हम भारत सरकार से नहीं चाहेंगे कि वह तिब्बत के राष्ट्रीय हित का समर्थन करने के लिए किसी भी तरह से अपने राष्ट्रीय हितों को खतरे में डाल ले। हमें जो भी समर्थन प्रदान किया जाता है, हम उसका स्वागत करते हुए खुद को सम्मानित महसूस करते हैं।‘इसके अतिरिक्त, उन्होंने चीन का मुकाबला करने और बीजिंग में सकारात्मक परिवर्तन लाने के अभियान के बीच तिब्बत को केवल चीन का शिकार मानने के बजाय उसकी आंतरिक शक्ति के तौर पर तिब्बत को मान्यता देने की महत्वपूर्ण अपील की।

सिक्योंग ने भारत की केंद्र और राज्य सरकारों को उनके निरंतर समर्थन और एकजुटता के लिए धन्यवाद देकर अपना संबोधन समाप्त किया। उन्होंने सांसद सुजीत कुमार के नेतृत्व में ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम फॉर तिब्बत और कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज द्वारा तिब्बती मुद्दे को आगे बढ़ाने में योगदान के लिए भी सराहना की।

सांसद सुजीत कुमार ने अपने संबोधन में चीन का मुकाबला करने के लिए भारत द्वारा साहसिक कदम उठाने का आह्वान दोहराया और साथी सांसदों से तिब्बती आंदोलन को आगे बढ़ाने में सहयोग का अनुरोध किया। संसद के सदस्य और तिब्बत के लिए संसदीय समूह के संयोजक होने के नाते उन्होंने कहा कि जब भी वे तिब्बत पर एक विधेयक पेश करते हैं तो सदन में उनका कार्यकलाप अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है। उन्होंने उस समय को याद किया जब उनसे चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों और राष्ट्रीय हित के कारण विधेयक को वापस लेने का आग्रह किया गया था।

उन्होंने तिब्बत को चीन का आंतरिक मसला मानने की निंदा की। इसके बजाय, उन्होंने तिब्बत ब्रीफ 20/20 में माइकल वान प्राग द्वारा दिए गए तथ्‍यात्मक सबूतों की पुष्टि करने का आग्रह किया ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदायों को तिब्बत को एक संप्रभु राज्य के रूप में मान्यता देने और कभी भी चीन का हिस्सा न मानने के लिए राजी किया जा सके।

उन्होंने परम पावन दलाई लामा के मानवता के प्रति वृहत्‍तर योगदान के प्रति‍दान स्‍वरूप केंद्र सरकार से भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग करने के अपने मंच के प्रयासों के बारे में सभा को अवगत कराया। सांसद सुजीत कुमार ने कहा, ‘भारत परम पावन दलाई लामा को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित करके स्वयं को गौरवान्वित करेगा।‘उन्होंने कहा कि इस पुरस्‍कार  के लिए परम पावन दलाई लामा समकालीन भारत में सबसे योग्य व्‍यक्ति हैं और उन्‍होंने इस बहुप्रतीक्षित पुरस्‍कार दिलाने की दिशा में अपने मंच की ओर से दृढ़ता से प्रयास जारी रखने का आश्वासन दिया।

मंच द्वारा घोषित एक और प्रयास है कि परम पावन को उनसे सहमति और समय लेकर भारतीय संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया जाए। फोरम के कई महत्वाकांक्षी लक्ष्यों में तिब्बत के वैध प्रतिनिधि के रूप में सीटीए को मान्यता देने के लिए भारत सरकार से आग्रह करना भी शामिल है।

आईटीएफएस के अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार ने तिब्बती आंदोलन को मजबूत करने के लिए समन्वित प्रयास का आह्वान किया। उन्होंने आईटीएफएसकी स्थापना के दौरान आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया,जब कोई भी संसद सदस्य तिब्बती मुद्दे में शामिल होने या समर्थन करने के लिए तैयार नहीं था। उन्होंने कहा कि अनेक कठिनाइयों के बावजूद, ‘आईटीएफएस तिब्बती मुद्दे के साथ खड़ा रहा है और आगे भी भाईचारे की भावना के साथ खड़ा रहेगा।‘

उन्होंने प्रत्येक प्रतिभागी से,जहां भी अवसर और मंच मिले,तिब्बती समस्या के मुद्दे को उठाने और ठोस कार्रवाई करने के लिए सरकार पर दबाव डालने का आग्रह किया। वर्तमान सरकार का जो समय बचा है उसमें उन्होंने संसदीय समर्थक समूह के सदस्यों से सदन में अधिक से अधिक  तिब्बत मुद्दे पर बोलने और तिब्बत आंदोलन का समर्थन करने वाला श्वेत पत्र जारी करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस तरह के रणनीतिक कदम की चीन द्वारा निंदा किए जाने की आशंका के बारे में डॉ आनंद ने कहा कि भारत को तिब्बत और उसके उचित कारण के लिए सक्रिय रूप से खड़ा रहना चाहिए।

सांसद सुजीत कुमार की चीन से निपटने में भारत सरकार द्वारा साहसिक कार्रवाई के आह्वान के विपरीतश्री इंद्रेश कुमार ने भारत-चीन संबंधों की पारस्परिक संवेदनशीलता और भेद्यता को देखते हुए चीन से निपटने के लिए एक उदार दृष्टिकोण का सुझाव दिया। हालांकि, उन्‍होंने चीन में सबसे पहले शुरू हुए कोरोना-वायरस से खराब तरीके से निपटने के लिए चीन की कड़ी आलोचना की और लगभग 80लाख लोगों की हत्या के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया।

परम पावन दलाई लामा को भारत रत्न से सम्मानित करने के संबंध में उन्होंने कहा कि वे अलग-अलग विचारों और रचनात्मक बहस का स्वागत करते हैं। हालांकि, जब उन्होंने तिब्बत की संप्रभुता और सीटीए के मध्यम मार्ग दृष्टिकोण के निर्विवाद समर्थन का आश्वासन दिया, तो उनका मानना था कि सरकार को तिब्बत पर किसी भी नीति का मसौदा तैयार करने से पहले समग्र रूप से सोचना चाहिए और कोई आवेगी, भावनात्मक निर्णय नहीं लेना चाहिए।

उन्‍होंने कहा,हम किसी भी ताकत को भारत की संप्रभुता और भारत के मित्र लोगों की संप्रभुता को नष्ट करने के लिए बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम तिब्बत का समर्थन करने के अपने संकल्प को तब तक जारी रखेंगे जब तक कि चीन-तिब्बत विवाद का समाधान नहीं हो जाता।‘

कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया द्वारा आयोजित और भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय फोरम में भारत से 200 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इस दो दिवसीय संगोष्ठी के दौरानप्रतिभागी 14वें दलाई लामा के पुनर्जन्म, तिब्बत में तिब्बतियों के अधिकार और स्वतंत्रता, निचले इलाके के देशों के लिए तिब्बत की पारिस्थितिकी के महत्व पर ध्यान देने के साथ चीन-तिब्बत संघर्ष में भारत की भूमिका पर विचार-विमर्श करेंगे और भारत में तिब्बत समर्थक समूहों को मजबूत करने के लिए रणनीति तैयार करने के साथ एक घोषणा और कार्य योजना को अपनाने का काम भी होगा।


विशेष पोस्ट

परम पावन की घोषणा दलाई लामा की परंपरा चलती रहेगी

2 Jul at 8:20 am

तिब्बत पर विश्व सांसदों का नौवां सम्मेलन टोक्यो घोषणा-पत्र, टोक्यो कार्य योजना और परम पावन १४वें दलाई लामा के ९०वें जन्मदिन के सम्मान में प्रस्ताव पारित करने के साथ संपन्न

5 Jun at 9:29 am

दीर्घायु प्रार्थना समारोह में शामिल हुए परम पावन दलाई लामा

4 Jun at 10:59 am

तिब्बत पर विश्व सांसदों के नौवें सम्मेलन के लिए दुनिया भर के सांसद टोक्यो पहुंचे

3 Jun at 3:17 pm

परमपावन दलाई लामा ने तिब्बत पर 9वें विश्व सांसद सम्मेलन को संदेश भेजा

3 Jun at 7:22 am

संबंधित पोस्ट

रिजिजू ने पुनर्जन्म पर दलाई लामा का समर्थन किया, चीन ने कहा कि इसके लिए बीजिंग की मंजूरी जरूरी है

1 day ago

तिब्बती प्रतिनिधिमंडल ने यूएनएचआरसी के साइड इवेंट को संबोधित किया, जिसे 16 सरकारों ने प्रायोजित किया और 27 देशों ने भाग लिया

1 day ago

प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने “अंतरराष्ट्रीय दमन को समझना और उसका विरोध करना” विषय पर एक पैनल चर्चा को संबोधित किया

2 days ago

लंदन ने आशा और एकजुटता के संदेशों के साथ परम पावन दलाई लामा का 90वां जन्मदिन मनाया

2 days ago

तिब्बती प्रतिनिधिमंडल ने जिनेवा में 59वें यूएनएचआरसी सत्र के दौरान साइडलाइन और बंद कमरे में बैठकों में भाग लिया

2 days ago

हमारे बारे में

महत्वपूर्ण मुद्दे
तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
मध्य मार्ग दृष्टिकोण
चीन-तिब्बत संवाद

सहयोग
अपील
ब्लू बुक

CTA वर्चुअल टूर

तिब्बत:एक तथ्य
तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
तिब्बतःएक अवलोकन
तिब्बती:राष्ट्रीय ध्वज
तिब्बत राष्ट्र गान(हिन्दी)
तिब्बत:स्वायत्तशासी क्षेत्र
तिब्बत पर चीनी कब्जा:अवलोकन
निर्वासन में तिब्बती समुदाय

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
संविधान
नेतृत्व
न्यायपालिका
विधायिका
कार्यपालिका
चुनाव आयोग
लोक सेवा आयोग
महालेखा परीक्षक
१७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां

केंद्रीय तिब्बती विभाग
धार्मीक एवं संस्कृति विभाग
गृह विभाग
वित्त विभाग
शिक्षा विभाग
सुरक्षा विभाग
सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
स्वास्थ विभाग

संपर्क
भारत तिब्बत समन्वय केंद्र
एच-10, दूसरी मंजिल
लाजपत नगर – 3
नई दिल्ली – 110024, भारत
दूरभाष: 011 – 29830578, 29840968
ई-मेल: [email protected]

2021 India Tibet Coordination Office • Privacy Policy • Terms of Service