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किंघई भूकंप के बाद पुनर्निर्माण में ‘चीनी-शैली’ के घरों से तिब्बतियों को डर लगता है

September 23, 2021

भूकंप के बाद चीनी अधिकारियों द्वारा पुनर्निर्माण किया जा रहा

भूकंप से बचे कुछ लोगों का कहना है कि नवनिर्मित संरचनाएं पारंपरिक तिब्बती स्थापत्य शैली को प्रतिबिंबित नहीं करती हैं।

rfa.org

२०२१– ०९–२३ 

इस साल की शुरुआत में उत्तर-पश्चिम चीन के किंघई में एक तिब्बती आबादी वाले काउंटी में भूकंप के बाद चीनी अधिकारियों द्वारा पुनर्निर्माण किया जा रहा है। लेकिन भूकंप से बचे लोगों का कहना है कि उन्हें डर है कि घरों और मठों को चीनी शैली में फिर से बनाया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि इससे उनका पारंपरिक तिब्बती स्वरूप नष्ट हो जाएगा।

स्थानीय सूत्रों ने आरएफए को पहले की रिपोर्टों में बताया कि २२ मई को किंघई के माटो (चीनी, मडुओ) काउंटी में ७.३ तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें कम से कम २० लोगों की मौत हो गई थी और ३०० से अधिक घायल हो गए थे।

चीनी अधिकारियों ने क्षेत्र से सूचना प्रवाह को अवरुद्ध कर हताहतों के आंकड़ों की स्वतंत्र पुष्टि को रोकने के लिए तेजी से सारे उपाय किए।

इस क्षेत्र में रहने वाले एक तिब्बती ने इस सप्ताह आरएफए की तिब्बती सेवा को बताया कि स्थानीय अधिकारियों ने जुलाई में प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के लिए काम शुरू किया और पुराने घरों और मठों को ध्वस्त कर दिया।

आरएफए के सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘वे न केवल भूकंप से प्रभावित हुए ढांचे को बल्कि उन संरचनाओं को भी गिरा रहे हैं जो प्रभावित नहीं हुए थे।’

‘और आम लोगों या भिक्षुओं की इच्छाओं को जाने या उनसे परामर्श किए बिना वे अपने घरों और क्वार्टरों को ध्वस्त कर रहे हैं और वहां पर स्टील के घरों का निर्माण कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘अब यह बहुत बड़ी चिंता की बात है कि सरकार जल्द ही पूरे क्षेत्र में ऐसे घरों को फिर से बना सकती है जो केवल चीनी स्थापत्य के अनुकूल होंगी।’

सूत्र ने कहा, ‘भले ही मई में भूकंप से गंभीर क्षति हुई हो, फिर भी सब कुछ नष्ट करने का कोई कारण नहीं है।’ चीनी अधिकारी वादा कर रहे हैं कि नई संरचनाएं भविष्य में भूकंप का सामना करने के लिए पर्याप्त मजबूत होंगी और कि अन्य घर भी अंततः बनाए जाएंगे।

सूत्र ने कहा, ‘हालांकि, यह सभी नए निर्माण केवल सरकार के एजेंडे के अनुसार हो रहे हैं। उधर, तिब्बती चिंतित हैं कि इन नवनिर्मित भवनों में कोई तिब्बती शैली नहीं बचेगी।’

चीनी सरकारी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, माटो के तिब्बती निवासियों को २२ मई को आए भूकंप से नुकसान से संबंधित रिपोर्ट पोस्ट करने से रोक दिया गया था। यहां का भूकंप दक्षिण-पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत में ६.४ तीव्रता के भूकंप के बाद उसी दिन आया था, जिसमें कम से कम तीन लोग मारे गए थे और ३२ लोग घायल हो गए थे।

१४ अप्रैल, २०१० को किंघई के युशुल (युशू) तिब्बती स्वायत्त प्रान्त में आए भूकंप ने क्यूगुडो शहर को बड़े पैमाने पर नष्ट कर दिया, हजारों निवासियों को बेघर कर दिया और आधिकारिक गणना के अनुसार लगभग ३००० लोगों की मौत हो गई थी।

चीनी सुरक्षा बल बाद में तिब्बती परिवारों को उनके लिए बनाए गए नए घरों से उन्हें तब बेदखल करने लगे जब निवासियों ने कहा कि वे अतिरिक्त निर्माण की लागत राशि सरकार को वापस नहीं कर सकते।

सूत्रों ने कहा कि जनवरी २०१५ में क्येगुडो में निवासियों से अधिकारियों द्वारा पैसों की मांग की गई और सैकड़ों पुलिसकर्मियों को सरकार द्वारा निर्मित आवास परियोजनाओं में तैनात कर दिया गया।

तिब्बत और चीन के तिब्बती क्षेत्रों में रहने वाले तिब्बती अक्सर राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक भेदभाव के साथ-साथ मानवाधिकारों के हनन की शिकायत करते हैं और कहते हैं कि उन्हें डर है कि बीजिंग ६० लाख तिब्बतियों को चीनी हान मूल में मिला देने की नीतियों को तेजी से लागू कर रहा है।

आरएफए की तिब्बती सेवा के लिए संग्याल कुंचोक की रिपोर्ट। तेनज़िन डिकी द्वारा अनूदित। रिचर्ड फिनी द्वारा अंग्रेजी में लिखित।

 


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