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चीन में बढ़ रही तिब्बत स्वायत्तता की स्वीकार्यता

January 15, 2013

दैनिक जागरण, 14 जनवरी, 2013

वाराणसी : तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि चीन में तिब्बत स्वायत्तता की स्वीकार्यता बढ़ रही है। चीनी विद्वानों ने इससे संबंधित एक हजार से अधिक लेख लिखे हैं जो हमारी बड़ी सफलता है। तिब्बतियों की संस्कृति व परंपरा से आम चीनी भी प्रभावित हो रहा है। आजादी गुलामी जैसा कोई मसला नहीं, हम स्वायत्तता चाहते हैं ताकि अपनी परंपराओं व संस्कृति को बचाए रख सकें।

दलाईलामा सारनाथ स्थित केंद्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय में रविवार को पत्रकारों से रूबरू थे। उन्होंने कहा कि बंदूक की ताकत टिकाऊ नहीं हो सकती लेकिन सत्य की शक्ति हमेशा कायम रहेगी। शक्तिशाली सोवियत रूस के बिखराव के रूप में लोग इसका हश्र देख चुके हैं। बोले-भारत और चीन को सीमा विवाद मिल बैठकर निबटा लेने चाहिए ताकि करोड़ो रुपये बचाए जा सकें। इसका उपयोग अपने नागरिकों का जीवन स्तर उपर उठाने में किया जा सकता है। बोले-छह दशक पहले के परिदृश्य से तुलना करें तो चीन में स्थितियां सुधरी हैं। राजनीतिक लोगों के बारे में लोग बोलने से डरते थे, अब खुलकर बोल रहे हैं। तिब्बत में निरंतर सुधार दिख रहा है। हालांकि आर्थिक व शैक्षिक ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता है। दलाईलामा ने कहा-भारत जनतांत्रिक व धर्मनिरपेक्ष देश है, उसका सम्मान करते हुए खुद भी अपनाने का प्रयास किया। निर्वासित तिब्बती सरकार को जनतांत्रिक रूप दिया और खुद को राजनीति से अलग कर चुका हूं। वैश्वीकरण के बाद भले ही सीमाएं न खत्म हों लेकिन देशों का अगला स्वरूप यूनियन होगा। व्यवसायिक आवश्यकताओं से ऐसी विवशता होगी। भारत, पाक, चीन व समीपस्थ देश एक मंच पर आएंगे।

दुष्कर्म के पीछे नैतिकता का हस

दुनिया में नैतिक मूल्यों में हस आया है, इससे भारत भी अछूता नहीं रहा है। ऐसे में दुष्कर्म जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं। दिल्ली जैसी घटना चर्चा में आई लेकिन वाराणसी या अन्य स्थान भी इससे अछूते नहीं हैं। अत: संस्कारों, नैतिक सिद्धांतों को रोपने की आवश्यकता है। इससे सामाजिक विसंगतियां स्वत: समाप्त हो जाएंगी।

बचपन को बचाएं

एक सवाल पर दलाईलामा ने कहा मैं खुद को आज भी बच्चे सा महसूस करता हूं। खुद पर अपने धर्मगुरु को ओहदे को हावी नहीं होने देता। इन सबसे अलग होकर मानवता का भाव रखें तो सभी मानव एक जैसे हैं। यह आपके व्यक्तित्व में भी दिखेगा।

मैं तो गेस्ट हूं

भारतीय सीमा पर पाकिस्तान के दुस्साहस की बाबत दलाईलामा ने कहा यह भारत का आंतरिक मसला है, मैं तो गेस्ट हूं। ऐसे मामलों में कुछ कह नहीं सकता। हालांकि एक सवाल पर उन्होंने कहा कि कश्मीर के भारतीय हिस्से का समुचित विकास हुआ है, वहीं दूसरी ओर की स्थितियां बहुत बदली नहीं हैं।


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