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आंदोलनकारियों ने तिब्बत के संकट पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कम प्रतिक्रिया की आलोचना की, यह देखते हुए कि आत्मदाह करने वालों की संख्या 50 से ऊपर पहुंच चुकी है

September 7, 2012

तिब्बत के मसले पर कार्रवार्इ की मांग में ग्लोबल तिब्बत एडवोकैसी एक्शन के साथ कोर ग्रुप फार तिब्बतन कॉज भी शामिल हुआ, विदेश मंत्रालय और विदेशी मामलों पर संसद की स्थायी समिति तिब्बत पर ज्यादा बहपुक्षीय कार्रवार्इ करने की मांग की

नर्इ दिल्ली, 5 सितंबर: कोर ग्रुप फार तिब्बत कॉज (1) के आंदोलनकारी आज दुनिया की सरकारों के ऊपर दबाव बनाने के एक वैशिवक प्रयास में शामिल हो गए। कोर ग्रुप ने विदेश मंत्री को एक ज्ञापन देकर मांग की है कि तिब्बत के मामले में चीन पर ज्यादा बहुपक्षीय दबाव बनाया जाए। एक समनिवत कार्रवार्इ में दुनिया भर के एडवोकैसी से जुड़े लोग अपने विदेश मंत्रियों पर दबाव बना रहे हैं कि वे आगामी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद और महासभा की बैठकों के दौरान तिब्बत मसले पर कार्रवार्इ के लिए अन्य सरकारों के साथ संयोजन में काम करें। इन दोनों महत्वपूर्ण संगठनों की बैठक सितंबर माह में होनी है। अंतरराष्ट्रीय तिब्बत नेटवर्क (आर्इटीएन) एशिया के क्षेत्रीय कार्यालय ने इस अभियान के समन्वय में सहयोग किया है।

कोर ग्रुप फार तिब्बतन कॉज के राष्ट्रीय संयोजक डा. एन. के. त्रिखा ने कहा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय चीन अधिकृत तिब्बत में हो रहे मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन से तिब्बती लोगों को बचाने की अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है। दुनिया भर की सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की पहले की निषिक्रयता की वजह से तिब्बत के हालात और बदतर हुए हैं और अब तक बीजिंग के कठोर शासन (2) के खिलाफ 50 लोग खुद को आग लगा चुके हैं। डा. त्रिखा ने कहा, हम चाहते हैं कि भारत तत्काल तिब्बत पर एक मजबूत, ज्यादा समनिवत और बहुपक्षीय कार्रवार्इ करे और इस लगातार बढ़ती दु:खद सिथति के लिए एक दीर्घकालिक समाधान तलाशा जाए।(3)
गौरतलब है कि तिब्बत के हालात पर ज्यादा सार्वजनिक और दिखने वाले बहुपक्षीय कार्रवार्इ के लिए मांग में अगस्त माह में भारी तेजी आर्इ है। अगस्त माह में अमेरिकी कांग्रेस के दो सदस्यों ने हिलेरी क्लिंटन को एक कड़ा पत्र लिखकर यह सुझाव दिया है कि अमेरिकी सरकार तिब्बत के मसले पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करे, तिब्बत पर समय-समय सार्वजनिक सभाओं का आयोजन करे और संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान अन्य सरकारों के साथ एक संपर्क समूह का गठन करे। (4)
विदेश मंत्रालय को ज्ञापन देने (5) से पहले कोर ग्रुप के सदस्य विदेशी मामलों की छह सदस्यीय संसद की स्थायी समिति के सदस्यों से मिले (6)। कोर ग्रुप के सदस्यों ने उनसे यह अनुरोध किया कि तिब्बत में संकट के हालात के मसले को उठाने में सहयोग करें और विदेश मंत्रालय के साथ अगली बैठक में वे बहुपक्षीय कार्रवार्इ पर जोर दें। कोर ग्रुप ने सांसदों से अनुरोध किया कि वे भारत, तिब्बत और चीन के त्रिपक्षीय संबंधों पर कालोन टि्रपा डा. लोबसांग सांगे के विचारों को सुनने के लिए उन्हें समिति की बैठक में आमंत्रित करें। संसद सदस्यों से यह अनुरोध भी किया गया कि वे कोर ग्रुप द्वारा दिए गए ज्ञापन के आधार पर विदेश मंत्रालय को एक चिंता पत्र भेजे। सभी सांसदों ने इस मामले में पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया।

पिछले 12 महीनों में तिब्बत के भीतर आत्मदाह की स्तब्ध कर देने वाली 48 घटनाएं हुर्इ हैं और सिर्फ अगस्त, 2012 में ऐसी कम से कम सात घटनाएं हुर्इ हैं। अब तक विरोध प्रदर्शन की ऐसी 51 घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें से कम से कम 42 लोग अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं। तिब्बत में आत्मदाह की पहली ज्ञात घटना फरवरी 2006 में हुर्इ थी। पूर्वी तिब्बत के नाबा सिथत कीर्ति मठ के एक भिक्षु तापे द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के इस कृत्य का सिर्फ दो साल बाद मार्च, 2011 में फुंसोक ने अनुसरण किया। 15 अगस्त, 2011 को आत्मदाह की तीसरी घटना ने यह संकेत दिया कि यह सिर्फ अलग-थलग घटनाएं नहीं हैं बलिक चीनी शासन के खिलाफ चरम विरोध प्रदर्शन की अभूतपूर्व लहर की शुरुआत है, जिसमें खुद को आग लगाने वाले लोग आज़ादी और दलार्इ लामा की वापसी की मांग करते हैं।

कोर ग्रुप फार तिब्बत कॉज के राष्ट्रीय सह-संयोजक श्री विजय क्रांति ने कहा, आत्मदाह की मौजूदा स्थिति दु:खद है, लेकिन इससे तिब्बत के हालात की असली सच्चार्इ मजबूती से सामने आती है। इससे पता चलता है कि आम तिब्बतियों में चीनी शासन के प्रति पूरी तरह अविश्वास और कुंठा है। इससे तिब्बतियों की आज़ादी की आकांक्षा, परमपावन दलार्इ लामा में उनका गहरा जुड़ाव और तिब्बत को फिर से आज़ाद कराने के लिए छोल्का सुम के लोगों की प्रतिबद्धता साबित होती है। आत्मदाह की ऐसी ज्यादातर घटनाएं टीएआर के बाहर हुर्इ हैं जिससे साफतौर से चीन यह झूठ भी उजागर हो गया है कि केवल टीएआर ही तिब्बत है।

नोट:
1. कोर ग्रुप फार तिब्बतन काज अखिल भारतीय तिब्बत समर्थक संगठनों का अम्ब्रेला आर्गनाइजेशन है। www.indiatibet.com
2. तिब्बत में आत्मदाह की पुषिट हो चुकी घटनाओं की पूरी सूची देखने के लिए    www.StandupforTibet.org/learn-more  वेबसाइट पर जाएं (यहां आत्मदाह करने वालों की तस्वीरें भी हैं)। तिब्बत में आत्मदाह की 50वीं और 51वीं पुष्ट घटनाएं 27 अगस्त को आमदो (चीन के हिसाब से सिचुआन प्रांत) प्रांत के नाबा में हुर्इ हैं। कीर्ति मठ के पास 18 वर्ष के भिक्षु लोबसांग केलसांग और भिक्षु का चोला त्याग चुके 17 वर्षीय भिक्षु दामछो ने खुद को आग लगा लिया। दोनों की मौत हो जाने की खबरें हैं। इसी प्रकार निर्वासित तिब्बतियों में भी आत्मदाह की ऐसी पांच घटनाएं हो चुकी हैं।
3. अंतरराष्ट्रीय तिब्बत नेटवर्क चीन जनवादी गणराज्य से यह मांग करता है:
• तिब्बती इलाकों और मठों के आसपास से तत्काल सुरक्षा कर्मियों को हटाया जाए और तिब्बत में धार्मिक एवं सुरक्षा नीतियों के अमल पर रोक लगार्इ जाए।
• आत्मदाह के सिलसिले में गिरफ्तार सभी लोगों को रिहा किया जाए और यह विवरण दिया जाए कि फरवरी 2009 से ही आत्मदाह करने वाले सभी लोग कहां हैं और उनकी क्या हालत है।
• विदेशी राजनयिकों, स्वतंत्र विदेशी मीडिया समूचे तिब्बती इलाके में बिना किसी रोक-टोक के आने-जाने की इजाजत दी जाए।
• तिब्बती जनता के वैधानिक शिकायतों का समाधान किया जाए और परमपावन दलार्इ लामा को तिब्बत वापस लाने की उनकी मांग पर विचार किया जाए।
दुनिया भर की सरकारें यह अवश्य करें:
• संबंधित अन्य सरकारों के साथ मिलकर चीन जनवादी गणतंत्र पर यह दबाव बनाएं कि वह उक्त मांगों को पूरा करे जिनमें तिब्बती इलाकों में विदेशी राजनयिकों और मीडिया की स्वतंत्र रूप से आवाजाही भी हो।
• सभी मौकों पर चीनी नेताओं से सीधे तिब्बत के हालात के बारे में सार्वजनिक और मजबूत तौर पर अपनी चिंता जताएं।
• अन्य संबंधित सरकारों के साथ मिलकर तत्काल एक उपयुक्त और प्रभावी बहुपक्षीय तंत्र बनाएं जिसमें तिब्बत के बारे में भविष्य के राजनयिक कदमों पर सहमति बने और उसे लागू किया जा सके।
• अमेरिकी कांग्रेस सदस्य फ्रैंक वोल्फ और जेम्स मैकगवर्न द्वारा विदेश मंत्री हिलेरी किलंटन को लिखे पूरे पत्र को यहां पढ़ा जा सकता है: http://www.tibetnetwork.org/sites/default/files/McGovern-Wolf%20letter%20to%20Clinton%20on%20Tibet%20August%202012.pdf

• विदेश मंत्रालय को दिए गए ज्ञापन को यहां देखा जा सकता है: https://docs.google.com/document/d/1h9Q1UcFm_simmm7uGq_ov5lvgau_E_Biwg_zPXI0dvs/edit
• विदेशी मामलों पर संसद की स्थायी समिति के बारे में जानकारी यहां से हासिल की जा सकती है: http://164.100.47.134/committee/committee_informations.aspx

Photos link:

https://docs.google.com/file/d/0B3fOZUMjC0tlemlHT3dZaFgyazQ/edit : नामधारी जी

https://docs.google.com/file/d/0B0mQ5zrBpDCJYnhrajFJbDFDdDQ/edit : मनोज जी

https://docs.google.com/file/d/0B3fOZUMjC0tlNEVFY2xhNkRSYTA/edit : श्री आनंदराव अदसुल

https://docs.google.com/file/d/0B0mQ5zrBpDCJckE1ajZLOFJydEk/edit : श्री बीरेंद्र प्रसाद वैश्य

https://docs.google.com/file/d/0B3fOZUMjC0tlbEQ5dnFwSVNyTzg/edit : श्री तरुण विजय

https://docs.google.com/file/d/0B0mQ5zrBpDCJenJJZVdWckRKV00/edit : श्री बलबीर पुंज

https://docs.google.com/file/d/0B3fOZUMjC0tlZmoxZmxPUl95VDg/edit : श्री शिवानंद तिवारीद्ध


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