भाषा
བོད་ཡིག中文English
  • मुख पृष्ठ
  • समाचार
    • वर्तमान तिब्बत
    • तिब्बत समर्थक
    • लेख व विचार
    • कला-संस्कृति
    • विविधा
  • हमारे बारे में
  • तिब्बत एक तथ्य
    • तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
    • तिब्बतःएक अवलोकन
    • तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज
    • तिब्बती राष्ट्र गान (हिन्दी)
    • तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र
    • तिब्बत पर चीनी कब्जा : अवलोकन
    • निर्वासन में तिब्बती समुदाय
  • केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
    • संविधान
    • नेतृत्व
    • न्यायपालिका
    • विधायिका
    • कार्यपालिका
    • चुनाव आयोग
    • लोक सेवा आयोग
    • महालेखा परीक्षक
    • १७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां
    • CTA वर्चुअल टूर
  • विभाग
    • धर्म एवं सांस्कृति विभाग
    • गृह विभाग
    • वित्त विभाग
    • शिक्षा विभाग
    • सुरक्षा विभाग
    • सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
    • स्वास्थ विभाग
  • महत्वपूर्ण मुद्दे
    • तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
    • चीन-तिब्बत संवाद
    • मध्य मार्ग दृष्टिकोण
  • वक्तव्य
    • परम पावन दलाई लामा द्वारा
    • कशाग द्वारा
    • निर्वासित संसद द्वारा
    • अन्य
  • मीडिया
    • तस्वीरें
    • विडियो
    • प्रकाशन
    • पत्रिका
    • न्यूज़लेटर
  • तिब्बत समर्थक समूह
    • कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – इंडिया
    • भारत तिब्बत मैत्री संघ
    • भारत तिब्बत सहयोग मंच
    • हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिबेट
    • युथ लिब्रेशन फ्रंट फ़ॉर तिबेट
    • हिमालय परिवार
    • नेशनल कैंपेन फॉर फ्री तिबेट सपोर्ट
    • समता सैनिक दल
    • इंडिया तिबेट फ्रेंडशिप एसोसिएशन
    • फ्रेंड्स ऑफ़ तिबेट
    • अंतरष्ट्रिया भारत तिब्बत सहयोग समिति
    • अन्य
  • संपर्क
  • सहयोग
    • अपील
    • ब्लू बुक

तिब्बत लोकतंत्र दिवस के 53वें वर्षगांठ पर कशाग का वक्तव्य

September 2, 2013

रिपोर्ट, 3 सितम्बर 2013

DSC_00131आज तिब्बती लोकतंत्र दिवस की 53वें वर्षगांठ पर कशाग तिब्बत के जनसमुदाय की ओर से परम पावन 14वें दलार्इ लामा जी को हार्दिक श्रद्धा एवं कृतज्ञता अर्पित करता है और इस शुभ अवसर पर तिब्बत के भीतर व बाहर रह रहे अपने सभी तिब्बत वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहता है।

तिरेपन वर्ष पूर्व आज ही के दिन प्रथम जन मनोनित प्रतिनिधि ने धर्मशाला के कार्यालय में अपना शपथ ग्रहण किया था। यह निर्वासन में तिब्बत के महान धर्मगुरू परम पावन 14वें दलार्इ लामा जी के निर्देशानुसार उनके द्वारा परिकल्पित लोकतंत्रिक सिद्धांतों पर भविष्य की दिशा में पहला कदम था।

अपने देश से वंचित तिब्बती समुदाय को परम पावन दलार्इ लामा जी के ज्ञान व पूर्वज्ञान ने उन्नति दी, उनकी लोकतंत्रिक तिब्बती समाज के दृष्टि ने तिब्बती समुदाय को अपनी संस्कृति, भाषा, धर्म व जीवन-पद्धति के संरक्षण के लिए कार्य करने में सशक्त किया, जिसके परिणामस्वरूप् निर्वासन में तिब्बती समुदाय को अपनी पहचान कायम रखने में एक ठोस नींव तैयार कर पाए हैं।

आज से 2500 वर्ष पूर्व ही बुद्ध ने अपने संघ में सामाजिक समानता और लोकतंत्रिक प्रक्रियाओं के क्रांतिकारी सिद्धांतों का परिचय दिया था।

मात्र सत्रह वर्ष की अल्पायू से परम पावन दलार्इ लामा जी ने निर्धन तिब्बतीयों और गरीब किसानों के बोझ को कम करने हेतु करों को कम करने तथा समान रूप् से भूमि का पुन:वितरण करने के लिए एक सुधार समिति की स्थापना की। लेकिन यह क्रांतिकारी समिति कर्इ बाहरी व भीतरी कारणों की वजह से कार्यानिवत नहीं हो पाया।

परम पावन दलार्इ लामा जी के मार्गदर्शन के अधीन तिब्बती लोकतंत्र विकसित हुए और कर्इ वर्षों से, जैसे साल 1960 में तिब्बती संसद की स्थापना, साल 1963 में भविष्य तिब्बत का संविधान तैयार करना, साल 1991 में निर्वासित तिब्बतीयों के चार्टर का अभिग्रहण और साल 2001 में कलोन ठ्रिपा  का प्रत्यक्ष चुनाव आदि प्रमुख ऐतिहासिक निर्णयों के द्वारा मार्च 2011 में इन प्रत्येक उपलब्धियों ने तिब्बती लोगों को परम पावन दलार्इ लामा जी के राजनीतिक अधिकार हस्तांतरण द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रिया से निर्वाचित नेतृत्व को राजनीतिक अधिकार सौंपने के लिए तैयार किया।

8 अगस्त, 2011 को कलोन ठ्रिपा  के उदघाटन के दिन, 1751 में 7वें दलार्इ लामा द्वारा निर्मित कशाग की अधिकारिक मुहर, का-धम सी-शी दे-की-मा को लोकतंत्रिक प्रक्रिया द्वारा निर्वाचित कलोन ठ्रिपा  को सौंप दिया गया, जो ऐतिहासिक वैधता और नेतृत्व निरंतरता का सुनिशिचत करता है।

यह महात्वपूर्ण उपलब्धियां भारत में प्राप्त हुर्इ, जो लोकतंत्र कि गहरी समझ और अभ्यास की भूमि है। साल 1956 के अपने भारत दौरे मैं परम पावन दलार्इ लामा जी ने पाया की भारत के शासन प्रणाली में सभी सामाजिक समानता और लोकतंत्रिक प्रक्रियाओं के सिद्धांत निहित हैं। परप पावन दलार्इ लामा जी भारत के संसद में बहुदलों द्वारा सक्रीय बहस से काफी प्रभावित हुए हैं।

भारत के विविधता में एकता का अवधारणा एक उदाहरण है। अपने विभिन्न धर्म, भाषा और रीति रिवाजों की एक विविध आबादी के बावजूद भारत हमेशा गहरी लोकतंत्रिक आदर्शों की वजह से एकजुट रहा है। यह संपन्न विविधता में एकता की प्रणाली निर्वासित तिब्बती लोकतंत्र को विकसित करने में अनुकूल हुए जिसके लिए हम भारत के प्रति जितनी कृतज्ञता व्यक्त करें कम हैं।

राजनीतिक सत्ता के ऐतिहासिक हस्तांतरण के परिणामरूवरूप् मौजूदा कशाग को कर्इ विकट चूनौतियों का सामना करना पड़ा जैसे सुचारू रूप से परिवर्तन तथा तिब्बती संघर्ष को आगे ले जाना आदि। इसलिए हमने एक एकिकृत तीन चरणबद्ध रणनीति को प्रस्तुत किया जिसे CAN रणनिति कहते हैं, जो संस्थापन, कार्रवार्इ एवं वार्ता करने की रणनीति है।

इस परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय समुदायों ने भी ध्यान दिया और तिब्बत पर अंतरराष्ट्रीय सांसद नेटवर्क ने टिप्पणी की है कि- “यह उल्लेखनीय है कि कर्इ दशकों से एक निर्वासित शरणार्थी समुदाय अपनी लोकतंत्रिक परिश्रम को व्यवस्थित रखने में कामयाब रहे हैं।” अमेरिकीन सिनेट के प्रस्ताव अंक 356 में भी स्वीकार किया है कि “कलोन ठ्रिपा के प्रत्यक्ष चुनाव पूर्ण रूप से प्रतिस्पर्धी, स्वतंत्र, निष्पक्ष और अंतरराष्ट्रीय चुनावी मानकों के अनुसार है।” 14 जून 2012 के यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में परम पावन दलार्इ लामा जी द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रीया से निर्वाचित नेतृत्व को महात्वपूर्ण राजनीतिक अधिकार और जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक हस्तांतरण का सराहना की है।

लेकिन स्वीकृति और समर्थन की सबसे महात्वपूर्ण अभिव्यकित तिब्बत में रह रहे तिब्बतीयों द्वारा उनके गीतों, थंका पेंटिंग और प्रार्थनाओं के माध्यम से आया है।

जैसा आप को ज्ञात है कि तिब्बत के भीतर स्थिति गंभीर बनी हुर्इ है, जिसके चलते चौकाने वाले घटनाएं सामने आए हैं और मात्र साल 2013 में 22 घटनाएं सहित आब तक 120 आत्मदाह हुआ है। उनमें से 103 की मृत्यु हो चुकी है। तिब्बत में इन मर्मभेदी और गंभीर समस्याओं को सुझाने का एक मात्र रास्ता यह है कि चीन तिब्बतियों के आकांक्षओं परम पावन दलार्इ लामा जी की तिब्बत वापसी और तिब्बत में तिब्बतीयों को स्वतंत्रता का सम्मान करें।

हमें दृढ विश्वास है की हमारे इस दृष्टिकोण के खुबियों पर चीनी नेतृत्व ध्यान देंगे और तिब्बत मुददे का समाधान जल्द निकलेगा, और जिससे तिब्बत के भीतर रह रहे तिब्बतियों के पीड़ा को समाप्त कर सकते हैं। तिब्बत समस्याओं को सुलझाना ही चीन के हित के लिए अपनी अंतरराष्ट्रीय छंवि को बढ़ावा देना और जरूरी स्पष्ट-ताकतों को जोड़ने के लिए लाभदायक होंगे। इस विषय पर आने वाले दिनों में 26वां टास्क-फोर्स बैठक की जाएगी।

इस अवसर पर सभी निर्वासित व प्रवासी तिब्बती जागें और सभी से आहवान करते हैं कि तिब्बत के भीतर रह रहे तिब्बतीयों के कष्टों के प्रति एकजुटता व एकता को ध्यान में रखते हुए तिब्बती लोकतंत्रिक अधिकारों और जिम्मेदारियों का लगन से पालन करें।

तिब्बतियों के 53वें लोकतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन एकता से काम करने, तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों के आकांक्षाओं को पूरा करने हेतु लोकतंत्रिक पथ पर आगे बड़ने के संकल्प को सुनिशिचत करती हैं। इस अवसर पर कशाग सभी तिब्बतियों से आहवान करता है की इस प्रयास में साथ दें और हमारे इस प्रयास में समर्थन व सहयोग देने वाले सभी दोस्तों को हार्दिक धन्यवाद दें।

एकजुटता से आगे बड़े तो कामयाबी हमारी होगी।

अंत में, मैं परम पावन 14वें दलार्इ लामा जी के दीर्घायु और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं।

कशाग
2 सितम्बर 2013

 


विशेष पोस्ट

स्वर्गीय हंगकर रिनपोछे की माता का लंबी बीमारी और दुःख के बाद निधन हो गया।

13 May at 10:44 am

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ को हार्दिक बधाई दी।

9 May at 11:40 am

परम पावन 14वें दलाई लामा ने परम पावन पोप लियो XIV को हार्दिक शुभकामनाएं दीं

9 May at 10:26 am

दलाई लामा के उत्तराधिकार में चीन के हस्तक्षेप के प्रयासों का यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में कड़ा विरोध

8 May at 9:05 am

परम पावन दलाई लामा ने दीर्घायु प्रार्थना में भाग लिया

7 May at 9:10 am

संबंधित पोस्ट

तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की 66वीं वर्षगांठ पर कशाग का वक्तव्य

2 months ago

११वें पंचेन लामा के जबरन अपहरण किए जाने की २९वीं बरसी पर डीआईआईआर का बयान

1 year ago

परम पावन दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने की ३४वीं वर्षगांठ पर कशाग का वक्तव्य

1 year ago

तिब्बती लोकतंत्र दिवस की तिरसठवीं वर्षगांठ पर कशाग का वक्तव्य

2 years ago

तिब्बती जनक्रांति दिवस की ६४वीं वर्षगांठ पर कशाग का वक्तव्य

2 years ago

हमारे बारे में

महत्वपूर्ण मुद्दे
तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
मध्य मार्ग दृष्टिकोण
चीन-तिब्बत संवाद

सहयोग
अपील
ब्लू बुक

CTA वर्चुअल टूर

तिब्बत:एक तथ्य
तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
तिब्बतःएक अवलोकन
तिब्बती:राष्ट्रीय ध्वज
तिब्बत राष्ट्र गान(हिन्दी)
तिब्बत:स्वायत्तशासी क्षेत्र
तिब्बत पर चीनी कब्जा:अवलोकन
निर्वासन में तिब्बती समुदाय

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
संविधान
नेतृत्व
न्यायपालिका
विधायिका
कार्यपालिका
चुनाव आयोग
लोक सेवा आयोग
महालेखा परीक्षक
१७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां

केंद्रीय तिब्बती विभाग
धार्मीक एवं संस्कृति विभाग
गृह विभाग
वित्त विभाग
शिक्षा विभाग
सुरक्षा विभाग
सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
स्वास्थ विभाग

संपर्क
भारत तिब्बत समन्वय केंद्र
एच-10, दूसरी मंजिल
लाजपत नगर – 3
नई दिल्ली – 110024, भारत
दूरभाष: 011 – 29830578, 29840968
ई-मेल: [email protected]

2021 India Tibet Coordination Office • Privacy Policy • Terms of Service