भाषा
བོད་ཡིག中文English
  • मुख पृष्ठ
  • समाचार
    • वर्तमान तिब्बत
    • तिब्बत समर्थक
    • लेख व विचार
    • कला-संस्कृति
    • विविधा
  • हमारे बारे में
  • तिब्बत एक तथ्य
    • तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
    • तिब्बतःएक अवलोकन
    • तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज
    • तिब्बती राष्ट्र गान (हिन्दी)
    • तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र
    • तिब्बत पर चीनी कब्जा : अवलोकन
    • निर्वासन में तिब्बती समुदाय
  • केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
    • संविधान
    • नेतृत्व
    • न्यायपालिका
    • विधायिका
    • कार्यपालिका
    • चुनाव आयोग
    • लोक सेवा आयोग
    • महालेखा परीक्षक
    • १७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां
    • CTA वर्चुअल टूर
  • विभाग
    • धर्म एवं सांस्कृति विभाग
    • गृह विभाग
    • वित्त विभाग
    • शिक्षा विभाग
    • सुरक्षा विभाग
    • सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
    • स्वास्थ विभाग
  • महत्वपूर्ण मुद्दे
    • तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
    • चीन-तिब्बत संवाद
    • मध्य मार्ग दृष्टिकोण
  • वक्तव्य
    • परम पावन दलाई लामा द्वारा
    • कशाग द्वारा
    • निर्वासित संसद द्वारा
    • अन्य
  • मीडिया
    • तस्वीरें
    • विडियो
    • प्रकाशन
    • पत्रिका
    • न्यूज़लेटर
  • तिब्बत समर्थक समूह
    • कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – इंडिया
    • भारत तिब्बत मैत्री संघ
    • भारत तिब्बत सहयोग मंच
    • हिमालयन कमेटी फॉर एक्शन ऑन तिबेट
    • युथ लिब्रेशन फ्रंट फ़ॉर तिबेट
    • हिमालय परिवार
    • नेशनल कैंपेन फॉर फ्री तिबेट सपोर्ट
    • समता सैनिक दल
    • इंडिया तिबेट फ्रेंडशिप एसोसिएशन
    • फ्रेंड्स ऑफ़ तिबेट
    • अंतरष्ट्रिया भारत तिब्बत सहयोग समिति
    • अन्य
  • संपर्क
  • सहयोग
    • अपील
    • ब्लू बुक

परमपावन दलार्इ लामा की सुरक्षा को लेकर कशाग का बयान

May 21, 2012

tibet.net, 20 मई 2012

हाल के दिनों में परमपावन दलार्इ लामा की सुरक्षा को लेकर आने वाली खबरों को लेकर मीडिया में काफी चर्चा रही है। परमपावन दलार्इ लामा की सुरक्षा भारी महत्व का विषय है।

8 मर्इ, 2012 को परमपावन दलार्इ लामा ने धर्मशाला (भारत) में संडे टेलीग्राफ को एक इंटरव्यू दिया था जिसके दौरान इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार ने परमपावन के सुरक्षा बंदोबस्त को लेकर कुछ टिप्पणी की थी। इसके जवाब में परमपावन ने कहा था कि भारत में उनके आगमन के समय से ही संबंधित सुरक्षा एजेंसियां उनकी सुरक्षा व्यवस्था को गंभीरता से देख रही हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि कुछ समय पहले उनकी सुरक्षा व्यवस्था में लगे अधिकारियों को तिब्बत के भीतर चीनी सुरक्षा प्रतिष्ठान के लिए काम कर रहे एक तिब्बती से जानकारी मिली कि कुछ तिब्बती महिलाओं को अपने बालों में जहर लगाने या परंपरागत तरीके से सम्मान के लिए दिए जाने वाले खाता को जहर से डुबोने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। परमपावन जब भी तिब्बतियों से मिलते हैं तो अक्सर तिब्बती लोग उन्हें ऐसे खाता प्रदान करते हैं और उनका आशीर्वाद हासिल करने के लिए अपना सिर उनके आगे झुकाते हैं। हालांकि, परमपावन ने इंटरव्यू लेने वाले से यह बात भी साफ कर दी थी कि इन खबरों की पुषिट करने का कोर्इ तरीका नहीं है।

खुद परमपावन अपनी सुरक्षा पर खतरे को हल्के तौर पर ही लेते हैं, लेकिन उनके ऊपर कर्इ तरह के खतरों को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों को ऐसी खबरों को गंभीरता से लेना ही पड़ता है।

जून, 2010 में तिब्बत से मिली जानकारी के अनुसार चीनी खुफिया एजेंसियां परमपावन को नुकसान पहुंचाने की ठोस योजनाएं बना रही हैं और इसके लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित एजेंटों, खासतौर से महिलाओं की नियुकित की गर्इ है। यह भी सुनने में आया है कि वे अत्याधुनिक और उन्नत दवाओं या जहरीले रसायनों के इस्तेमाल के द्वारा परमपावन को नुकसान पहुंचाने की संभावना पर काम कर रहे हैं।
अक्टूबर, 2011 में मिली एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार यह भी जानकारी सामने आयी है कि चीनी खुफिया एजेंसियों ने परमपावन के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी और उनके रक्त, पेशाब एवं बालों के सैंपल हासिल करने के गोपनीय प्रयास तेज कर दिए हैं। खबरों के अनुसार वे अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए तिब्बत के भीतर रहने वाले ऐसे तिब्बतियों का चुनाव कर रहे हैं जो भारत आकर परमपावन का दर्शन करें। अप्रैल, 2008 की शुरुआत में तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र (टीएआर) के तत्कालीन पार्टी सचिव झांग किवंगली ने सरकार के सभी वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक बुलार्इ थी। इस बैठक के दौरान उन्होंने कहा था, (जिन लोगों को मारा जाना है उन्हें मारना ही चाहिए और जिन्हें जेल भेजा जाना है उन्हें जेल में डालना चाहिए। हाल में फरवरी, 2012 में टीएआर के मौजूदा पार्टी सचिव छेन क्वांगुओ ने अलगाववादी विध्वंस के खिलाफ युद्ध करने) का आहवान किया था।

हाल के वर्षों में चीन सरकार ने तिब्बत के भीतर परमपावन को बदनाम करने का अभूतपूर्व अभियान चलाया है और अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे दलार्इ लामा के भारत के बाहर दौरे के समय विदेश में रहने वाले चीनी समुदाय से उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कराएं। इसके बाद ही अमेरिका, यूरोप और जापान में ऐसे कर्इ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं।

तिब्बती समाज को सुधारने और लोकतांत्रिक बनाने के परमपावन दलार्इ लामा के प्रयास से तिब्बती समुदाय के कुछ कटटरपंथी तत्वों का मनोबल बढ़ गया है। यह शुगदेन देवता की पूजा को लेकर मतभेदों से जुड़ा है, परमपावन ने तिब्बती जनता को इनकी पूजा न करने की सलाह दी है। ऐसे प्रमुख कटटरपंथी तत्वों में मर्इ, 1996 में स्थापित दोरजी शुगदेन भक्त धर्मार्थ एवं धार्मिक समाज (डीएसडीसीआरएस) शामिल है जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। डीएसडीसीआरएस के समर्थक संभवत: सबसे हिंसक समूहों में से हैं। भारतीय पुलिस ने दलार्इ लामा से जुड़े तीन भिक्षुओं (जिनमें एक उनके चीनी अनुवादक भी थे) के कत्ल के लिए डीएसडीसीआरएस को ही जिम्मेदार ठहराया है और उस पर आरोप तय किए हैं। यह तिहरा हत्याकांड फरवरी 1997 में धर्मशाला (भारत) सिथत परमपावन दलार्इ लामा के निवास के बिल्कुल करीब में ही हुआ था। इसके बाद इस मामले के दो आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए जून, 2007 में इंटरपोल ने रेड कार्नर नोटिस जारी किया था। ऐसी कर्इ खबरें इस तथ्य की ओर भी संकेत करती हैं कि चीन सरकार छुपे तौर पर शुगदेन कटटरपंथी समूह का सहयोग कर रही है। मार्च, 2011 में अमेरिका में स्थापित (उत्तर अमेरिका गेलुए एसोसिएशन) नामक एक संगठन के नेता न्यूयार्क में चीनी अधिकारियों से कर्इ बार मिल चुके हैं और वे नियमित रूप से चीन की यात्रा भी करते रहे हैं।

परमपावन दलार्इ लामा को पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने के लिए केंद्रीय तिब्बती प्रशासन भारत सरकार का आभारी है। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन इस बारे में सभी संबंधित लोगों को सचेत करता है कि वे निगरानी बनाए रखें और लगातार सावधान रहें।

कशग,
20 मर्इ, 2012

 


विशेष पोस्ट

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने वाराणसी में केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान का दौरा किया, नामांकन में गिरावट पर चिंता व्यक्त की

11 Aug at 9:40 am

चिली में सार्वजनिक व्याख्यान “तिब्बत की प्रतिध्वनियाँ: निर्वासन में संस्कृति और परंपरा के माध्यम से पहचान को बनाए रखना” के माध्यम से तिब्बती संस्कृति और वकालत पर प्रकाश डाला गया

10 Aug at 10:51 am

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने जनसम्पर्क के साथ मैनपाट फेंडेलिंग तिब्बती बस्ती का दौरा समाप्त किया

7 Aug at 9:32 am

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने ओडिशा फुंटसोकलिंग तिब्बती बस्ती का दौरा किया, तिब्बती महिला संघ की 15वीं आम सभा में भाग लिया

4 Aug at 11:17 am

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने भंडारा में नोर्ग्येलिंग तिब्बती बस्ती के निवासियों को संबोधित किया

1 Aug at 10:50 am

संबंधित पोस्ट

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने वाराणसी में केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान का दौरा किया, नामांकन में गिरावट पर चिंता व्यक्त की

1 week ago

चिली में सार्वजनिक व्याख्यान “तिब्बत की प्रतिध्वनियाँ: निर्वासन में संस्कृति और परंपरा के माध्यम से पहचान को बनाए रखना” के माध्यम से तिब्बती संस्कृति और वकालत पर प्रकाश डाला गया

1 week ago

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने जनसम्पर्क के साथ मैनपाट फेंडेलिंग तिब्बती बस्ती का दौरा समाप्त किया

2 weeks ago

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने ओडिशा फुंटसोकलिंग तिब्बती बस्ती का दौरा किया, तिब्बती महिला संघ की 15वीं आम सभा में भाग लिया

2 weeks ago

सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ने भंडारा में नोर्ग्येलिंग तिब्बती बस्ती के निवासियों को संबोधित किया

3 weeks ago

हमारे बारे में

महत्वपूर्ण मुद्दे
तिब्बत जो मुद्दे सामना कर रहा
मध्य मार्ग दृष्टिकोण
चीन-तिब्बत संवाद

सहयोग
अपील
ब्लू बुक

CTA वर्चुअल टूर

तिब्बत:एक तथ्य
तिब्बत:संक्षिप्त इतिहास
तिब्बतःएक अवलोकन
तिब्बती:राष्ट्रीय ध्वज
तिब्बत राष्ट्र गान(हिन्दी)
तिब्बत:स्वायत्तशासी क्षेत्र
तिब्बत पर चीनी कब्जा:अवलोकन
निर्वासन में तिब्बती समुदाय

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन
संविधान
नेतृत्व
न्यायपालिका
विधायिका
कार्यपालिका
चुनाव आयोग
लोक सेवा आयोग
महालेखा परीक्षक
१७ केंद्रीय तिब्बती प्रशासन आधिकारिक छुट्टियां

केंद्रीय तिब्बती विभाग
धार्मीक एवं संस्कृति विभाग
गृह विभाग
वित्त विभाग
शिक्षा विभाग
सुरक्षा विभाग
सूचना एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग
स्वास्थ विभाग

संपर्क
भारत तिब्बत समन्वय केंद्र
एच-10, दूसरी मंजिल
लाजपत नगर – 3
नई दिल्ली – 110024, भारत
दूरभाष: 011 – 29830578, 29840968
ई-मेल: [email protected]

2021 India Tibet Coordination Office • Privacy Policy • Terms of Service