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पृष्ठभूमि

October 8, 2010

निर्वासन के पिछले चार दशकों से केंद्रीय तिब्बती प्रशासन और परमपावन दलाई लामा के नेतृत्व में तिब्बती जनता अपने स्वतंत्रता और सम्मान को फिर से प्राप्त करने के लिए एक अहिंसक आंदोलन चला रही है। तिब्बती स्वतंत्रता संघर्ष सत्य, न्याय और अहिंसा पर आधारित है जिसे देखते हुए और तिब्बती जनता के कार्य व समर्पण को भी देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय में लगभग हर क्षेत्र के बहुत से लोग तिब्बत मसले में सक्रिय रूचि दिखा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप पिछले दो दशकों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय में तिब्बत समर्थक आंदोलन और तिब्बत समर्थक समूह गठित किए गए हैं। तिब्बत समर्थक समूहों का गठन स्वयंसेवी रूप में किया गया है और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन का इन पर कोई नियंत्रण नहीं होता। हालांकि यह तिब्बती जनता के घनिष्ठ सहयोग के साथ कार्य करते हैं। तिब्बत समर्थक समूहों ने तिब्बत की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाने और तिब्बत के लिए उल्लेखनीय स्तर का विश्वस्तरीय समर्थन पैदा किया है।

आज तिब्बत के लिए समर्थन चरम अवस्था में पहुंच गया है। लगातार फैल रहे तिब्बत आंदोलन में अधिक से अधिक देशों का समर्थन मिलता जा रहा है। १९९० में र्ध्मशाला में हुए पहले तिब्बत समर्थक समूह बैठक में २५ देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। १९९६ में जर्मनी के बॉन में होने वाली तिब्बत समर्थक समूह की दूसरी बैठक में ५६ देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इसके बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिब्बत समर्थकों की संख्या में कई गुणा बढ़ोतरी हुई है। १९९४ में अमेरिका में स्टुडेंट्स फॉर फ्री टिबेट की स्थापना नई पीढ़ी के लिए अच्छी खबर थी। इसका प्रभाव मई २००० में जर्मनी के बर्लिन में होने वाली तिब्बत समर्थक समूह की तीसरी बैठक में देखने को मिला जब दुनिया भर से करीब ३०० तिब्बत समर्थक सम्मेलन में शामिल हुए।

आज तिब्बत समर्थक समूह का आंदोलन रणनीतिक रूप से इतना प्रभावी हो गया है कि कोई भी सरकार इसकी बहुत दिन तक उपेक्षा नहीं कर सकती। इसकी प्रभावशीलता को मापने का पैमाना यही हो सकता है कि इसकी हर बैठक के बाद चीन सरकार किस हद तक प्रतिक्रिया देती है। बीजिंग ने १९९० से अब तक तिब्बत समर्थक समूहों की तीन महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक बैठकों को रोकने का पूरा प्रयास किया लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।

चीन के आधारिक दुष्प्रचार में हमेशा तिब्बत समर्थकों को दुश्मन पश्चिमी ताकतें और समूचे तिब्बती आंदोलन को पश्चिमी साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा समर्थित अलगाववादी आंदोलन कहा जाता है। हालांकि सच्चाई यह है कि तिब्बत समर्थकों में बीजिंग के प्रति लेशमात्रा भी शत्रुता का भाव नहीं है। तिब्बत समर्थक समूहों के सदस्य दुनिया के कई तरह के देशों में रहते हैं और विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और वैचारिक वर्ग के हैं। तथ्य यह भी है कि तिब्बत को अब बड़ी संख्या में चीनी नागरिकों का भी समर्थन मिल रहा है जो तिब्बत आंदोलन को समर्थन देने के लिए सार्थक योगदान कर रहे हैं। तिब्बत समर्थकों को एक करने वाली विचारधरा सिर्फ एक साझी मान्यता है कि स्वतंत्रता, न्याय और मानव का सम्मान हर मनुष्य का जन्मजात अधिकार है। जैसा कि परमपावन दलाई लामा ने कहा है कि, मनुष्यों का यह स्वाभाविक गुण है कि जब भी वह अपने साथी मनुष्यों को पीड़ित होते देखते हैं तो उनके अंदर करूणा और भाईचारे की भावना पैदा होती है।

तिब्बत समर्थक समूहों में ऐसे लोग शामिल हैं जिन्होंने स्वयं अपने उपर यह सुनिश्चित करने की सार्वभौमिक जिम्मेदारी ली है कि दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाया जाए।

पिछले वर्षों में तिब्बती लोगों की अंतरराष्ट्रीय तिब्बत समर्थकों के साथ संपर्क होने से अहिंसा और क्षमा ;यहां तक कि चीन के प्रति भीद्धपर आधरित उनकी मान्यता और मजबूत हुई है। इससे तिब्बत के भविष्य और व्यापक स्तर पर दुनिया के भविष्य के प्रति आशावाद की भावना और बलवती हुई है। जैसे कि अंत में सत्य व इंसाफ की ही विजय होती है उसी प्रकार तिब्बती लोगों का मानना है कि तिब्बत कभी न कभी अपनी खोई हुई स्वतंत्रता जरूर वापस पाएगा।

जब वह दिन आएगा तो तिब्बती लोग तिब्बत समर्थकों द्वारा तिब्बत के हित के लिए किए जा रहे निरंतर और प्रतिबद्ध समर्थन को जरूर याद करेंगे। तिब्बती नागरिक भी परमपावन दलाई लामा के नेतृत्व में अपने समूचे जीवन और कार्य को दुनिया भर में सभी के लिए शांति, न्याय और स्वतंत्राता के लिए समर्पित कर देंगे।


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