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लापता तिब्बती भिक्षु को सजा सुनाई गई, जेल भेजा गया : परिवार

June 24, 2021

तिब्बती भिक्षु रिंचेन त्सुल्ट्रीम।

रिनचेन त्सुल्ट्रिम परदेश को विभाजित करने के लिए काम करने; का आरोप। यह आरोप अक्सर चीन की प्रमुखहान संस्कृति में तिब्बती संस्कृति को आत्मसात करने का विरोध करने वाले तिब्बतियों के खिलाफ लगाया जाता है।
rfa.org
24 जून, 2021
एक तिब्बती भिक्षु के परिजनों का कहना है कि भिक्षु को दो साल पहले ‘देश को विभाजित करने’ के लिए काम करने के संदेह में गिरफ्तारी के बाद से हिरासत में रखा गया। उसे एक बंद मुकदमे में सजा सुनाई गई थी और वह साढ़े चार साल की जेल की सजा काट रहा है। आरएफए को पहले बताया गया था कि 27 जुलाई, 2019 को 29 वर्षीय रिनचेन त्सुल्ट्रिम को सिचुआन के नगाबा (चीनी, आबा) काउंटी में सोशल मीडिया पर तिब्बती राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर शांतिपूर्वक अपने विचार व्यक्त करने के लिए हिरासत में लिया गया था। त्सुल्ट्रिम की बहन कुनसांग डोल्मा ने भारत निर्वासन के अपने घर से आरएफए को बताया कि इस साल की शुरुआत तक उसके परिवार को उसके ठिकाने के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया था। परिवार ने कहा कि 23 मार्च, 2021 को तिब्बत में मेरे परिवार को चीनी अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया था कि मेरे भाई रिनचेन त्सुल्ट्रिम को बिना निष्पक्ष सुनवाई के साढ़े चार साल की जेल की सजा दी गई थी और अब वह (सिचुआन के) मियांयांग जेल में बंद है।

डोल्मा ने कहा, ‘चीनी अधिकारियों ने उन्हें 2019 में गिरफ्तार किए जाने से पहले तिब्बती राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर अपने विचार और लेखन को व्यक्त करने के लिए तीन बार चेतावनी दी थी। एक बार तो उनसे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी करवा लिए गए थे।’ भारत में निर्वासन में रहने वाले एक तिब्बती ने आरएफए की तिब्बती सेवा को पहले ही बताया था कि निर्वासन में रह रहे तिब्बतियों के साथ त्सुल्ट्रिम के जारी संपर्क उनकी गिरफ्तारी का एक अन्य महत्वपूर्ण कारक था। अलगाववाद, या ‘देश को विभाजित करने के लिए काम करना’ ऐसे कथित आरोप हैं जो तिब्बत की विशिष्ट राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान को चीन की प्रमुख हान मूल की संस्कृति में आत्मसात करने की चीनी नीति के खिलाफ बोलने वालों पर चीनी अधिकारियों द्वारा आम तौर पर लगाए जाते हैं। तिब्बत में कई भिक्षुओं, लेखकों, शिक्षकों और संगीत कलाकारों को हाल के वर्षों में इन्हीं आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया है। संचार माध्यमों पर शिकंजा चीनी अधिकारियों ने तिब्बत क्षेत्र में सूचना प्रवाह पर कड़ाई से नियंत्रण जारी रखा है। यहां पर तिब्बतियों द्वारा सोशल मीडिया पर समाचार और राय पोस्ट करने और निर्वासन में रहने वाले रिश्तेदारों से संपर्क करने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है। कई बार तो चीन विरोधी प्रदर्शनों की खबरों के लिए भी उन्हें गिरफ्तार किया जाता है। तिब्बत के लिए अधिकार समूहों और अन्य विशेषज्ञों ने यह सूचना दी है। सेंसर और पुलिस के विशेष निशाने पर मोबाइल फोन पर साझा की गई दलाई लामा की तस्वीरें और तिब्बती भाषा के संरक्षण के लिए आह्वान करती हुई फोन कॉल्स होती हैं। तिब्बती स्कूलों में चीनी भाषा को शिक्षा की मुख्य भाषा के रूप में स्थापित करने के सरकारी आदेशों के बाद से तिब्बती भाषा वहां खतरे में है। स्विट्जरलैंड में निर्वासन में रह रहे पूर्व तिब्बती राजनीतिक कैदी गोलोक जिग्मे ने कहा कि आगामी 01 जुलाई से शुरू हो रहे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के शताब्दी समारोह के मद्देनजर अब तिब्बत और तिब्बती क्षेत्रों में
सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

जिग्मे ने चीनी प्रांतों- सिचुआन, गांसु और किंघाई के सूत्रों के हवाले से कहा, ‘जैसे-जैसे सीसीपी की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ नजदीक आ रही है, वेबसाइटों तक पहुंच को कड़ाई से नियंत्रित किया जा रहा है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विशेष रूप से नजर रखी जा रही है।’
‘किसी भी तरह के विद्रोही कृत्य में शामिल होने के संदेह में किसी को भी हिरासत में लिया जा रहा है, क्योंकि चीनी सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है।’

जिग्मे ने कहा कि पुलिस द्वारा रखी जा रही कड़ी निगरानी के परिणामों से भयभीत तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों से अब तिब्बत के अंदर के समाचार या अन्य जानकारी प्राप्त करना आम दिनों से भी अधिक कठिन हो गया है। ज्ञातव्य है कि लगभग 70 साल पहले चीन द्वारा बलपूर्वक एक पूर्व स्वतंत्र राष्ट्र तिब्बत पर कब्जा कर लिया गया था और चीन में शामिल किया गया था। इसके बाद दलाई लामा और उनके हजारों अनुयायी भारत में निर्वासन में भाग गए और बीजिंग ने तिब्बत और पश्चिमी चीनी प्रांतों के तिब्बती आबादी वाले क्षेत्रों पर कड़ी पकड़ बनाए रखी। आरएफए की तिब्बती सेवा के लिए सांगेय कुंचोक और लोबे द्वारा रिपोर्ट किया गया। तेनज़िन डिकी द्वारा अनुवादित। रिचर्ड फिनी द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया।

 


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