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शी जिनपिंग माओ की सांस्कृतिक क्रांति की नकल तिब्बत में कर रहे हैं

January 11, 2022

tibet.net / डॉ. आर्य त्सेवांग ग्याल्पो

२०२२ के शीतकालीन ओलंपिक को शुरू होने में कुछ ही दिन बचे हैं। हालांकि, दुनिया खेलों के लिए तैयार नहीं दिख रही है। खुद चीन भी इसके लिए तैयार नहीं है। सीसीपी नेतृत्व शीतकालीन ओलंपिक पर ध्यान केंद्रित करने और कोरोना वायरस महामारी का प्रबंधन करने के बजाय तिब्बत, उग्यूर और दक्षिण मंगोलिया जैसे कब्जा किए गए क्षेत्रों में सांस्कृतिक क्रांति जैसे अत्याचार और विनाश को बढ़ावा दे रहा है।

हाल ही में ९९ फीट की बुद्ध प्रतिमा, ४५ विशाल प्रार्थना-चक्र, तिब्बती स्कूल को ध्वस्त करने और तिब्बत के खाम क्षेत्र के ड्रैकगो में प्रार्थना झंडे को जलाने जैसे कुकृत्यों से साफ है कि सीसीपी नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और मूल्यों का कोई सम्मान नहीं करना चाहता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी ने सीसीपी के गुंडों को गदान नामग्यालिंग मठ के पास जेत्सुन जम्पा गोंपो, बुद्ध मैत्रेय की मूर्ति को नष्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया है। आजाद दुनिया के निरंतर मौन से प्रोत्साहन पाकर चीन तिब्बत और अन्य कब्जे वाले क्षेत्रों में माओ के युग की सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत करेगा।

दुनिया अभी भी कोरोना वायरस महामारी से उबर नहीं पाई है, जिसने भारी कष्ट पैदा किया है और अभी भी दुनिया भर में कहर बरपा रहा है। ५५ करोड़ से अधिक लोग मारे गए हैं और २२२ देशों में १० जनवरी तक लगभग ३१ करोड़ ज्ञात मामले थे। तो इन महामारी से होने वाली मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है?

अपराधी की निंदा करने और उसे न्याय के कटघरे में लाने के बजाय, विश्व के नेताओं और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने अपराधी को ओलंपिक की मेजबानी करने के लिए सम्मानित किया है।

ओलंपिक स्वतंत्रता, लोकतंत्र और दोस्ती का सम्मान करने के लिए खेलों में एक पवित्र मानवीय अनुष्ठान और उत्सव है। यह दुनिया भर के सभी लोगों की एकता और समानता की खुशी और उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए है। लेकिन वास्तविकता और विडंबना यह है कि सीसीपी स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। इसलिए, यह भेड़िये की देखभाल के लिए मेमनों को जिम्मेदारी देने के समान है!

दुनिया को पता होना चाहिए कि ओलंपिक की मेजबानी चीन नहीं कर रहा है। बल्कि, यह सीसीपी और इसकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) है जो खेलों की मेजबानी कर रहे हैं। वे इसे स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मित्रता का सम्मान करने के लिए नहीं, बल्कि अपने देशवासियों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपनी मूल्य प्रणाली- सत्ता बंदूक की नली से निकलती है- की सफलता और सर्वोच्चता के बारे में बताने के लिए आयोजित कर रहे हैं।’

अमेरिकी पेशेवर बास्केटबॉल खिलाड़ी एनेस कनेटर ने ठीक ही कहा है, ‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ओलंपिक के उत्कृष्टता, सम्मान और दोस्ती के मूल मूल्यों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है, और वे एक क्रूर तानाशाह हैं।’ कनेटर ने कहा कि वह खुले तौर पर सीसीपी के अन्याय की निंदा करने के लिए सामने आए हैं, इसलिए नहीं कि वे चीन विरोधी हैं, बल्कि इसलिए कि वे न्याय-समर्थक और मानवता-समर्थक हैं।

२००८ में मानवाधिकार समूहों की आवाज़ों और तिब्बत में प्रदर्शनों के बावजूद, चीन को ओलंपिक की मेजबानी करने का सम्मान दिया गया था। हालांकि, सीसीपी नेतृत्व द्वारा भी क्षेत्रों में मानवाधिकारों, धार्मिक और प्रेस स्वतंत्रता में सुधार और बढ़ावा देने का वादा भी किया गया था। यह आशा करते हुए परम पावन दलाई लामा ने भी इसका समर्थन किया था कि यह चीन को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और समझ के अनुपालन के करीब लाएगा।

लेकिन हकीकत यह है कि ओलंपिक के बाद तिब्बत उग्यूर और दक्षिण मंगोलिया में मानवाधिकारों की स्थिति बद से बदतर हो गई। ओलंपिक से पहले लगभग २००० से ३००० तिब्बती प्रतिवर्ष भारत और विदेशों में भागते रहे। २००८ के बीजिंग ओलंपिक के बाद से यह उलझा हुआ था और २०१७ और २०१८ तक, केवल ३ या ४ थे। कहा जाता है कि तिब्बत अब पूरी तरह से निगरानी और जकड़न में एक पुलिस राज्य की तरह बन गया है। गांव के गांव को जासूसी नेटवर्क में बदल दिया गया है।

कोरोना वायरस महामारी और अंतरराष्ट्रीय चुप्पी का फायदा उठाते हुए सीसीपी नेतृत्व अब तिब्बती पहचान, संस्कृति और धार्मिक मूल्यों को खत्म करने के लिए साहसपूर्वक सामने आया है। लारुंग-गार और याचेन-गार मठों के विनाश के मामले अभी भी ज्वलंत हैं। ड्रैकगो में जो हो रहा है वह अकल्पनीय है और अंतरराष्ट्रीय कानून और चीनी संविधान के खिलाफ है।

शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी के लिए चीन के पास एक महीने से भी कम समय है, फिर भी चीन के पास तिब्बत में इस तरह के अत्याचार करने के लिए समय और हिम्मत है। यह आईओसी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का अपमान है।

विश्व के नेताओं के विनम्र और दोहरे रवैये ने चीन को भारत और भूटान में लगातार सीमा पर घुसपैठ, जापान के शेनकाकू द्वीप और भारत-प्रशांत क्षेत्रों के आसपास आक्रामक सैन्य युद्धाभ्यास, हांगकांग में लोकतंत्र और स्वतंत्रता का गला घोंटने, ताइवान पर कब्जा करने के लिए खतरनाक रूप से खुला छोड़ दिया है। एशिया और दुनिया को जीतने के लिए सीसीपी की महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए निरंकुश नेतृत्व को जारी रखने के लिए ये सब किया गया है और वुहान के कोरोना वायरस ने इस आशय की पूर्ति के लिए सीसीपी के भेदिया-घुसपैठिया (ट्रोजन हॉर्स) की भूमिका निभाई है।

समय आ गया है कि विश्व के नेता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय सीसीपी और उसके कोरोना वायरस को अधिक गंभीरता से लें और चीन और दुनिया को साम्यवादी तानाशाही की खतरनाक पकड़ से मुक्त करने के लिए ठोस प्रयास करें। यदि स्वतंत्रता, लोकतंत्र और कानून के शासन को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और मूल्यों के अनुरूप बनाए रखना है, तो चीन की नीति को बदलने की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रों में महामारी और वर्तमान अस्थिर युद्ध जैसी स्थिति के लिए चीन की निंदा करने और उसे जिम्मेदार ठहराने के लिए तैयार रहना चाहिए।

ओलंपिक का कूटनीतिक बहिष्कार एक बात है। जबकि मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए बुरी तरह से बदनाम पार्टी को पवित्र ओलंपिक मशाल सौंपना कुछ ऐसा है जिस पर हम सभी को गहराई से विचार करने की आवश्यकता है। आनेवाली पीढियां हमसे सवाल करने के लिए बाध्य होगी और हमें उस दुनिया के लिए जिम्मेदार ठहराएगी, जो उन्हें विरासत में मिलेगी!

  • डॉ. आर्य त्सेवांग ग्याल्पो परम पावन दलाई लामा के जापान और पूर्वी एशिया संपर्क कार्यालय में प्रतिनिधि हैं। वह डीआईआईआर के पूर्व सचिव और धर्मशाला में तिब्बत नीति संस्थान के निदेशक भी रहे हैं। 

अस्वीकरण: ऊपर व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं और जरूरी नहीं कि तिब्बत नीति संस्थान की आधिकारिक रुख को प्रतिबिंबित करें।


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